वरिष्ठ किसान नेता दर्शन पाल (Darshan Pal) ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने का बीकेयू नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का फैसला जल्दबाजी में लिया गया था और बेहतर होता कि वह (टिकैत) अपनी योजना पर पहले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ चर्चा किए होते. दिल्ली की तीन सीमाओं (सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर) पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ 70 दिन से ज्यादा समय से प्रदर्शनों का नेतृतव कर रहे एसकेएम ने इस हफ्ते के आरंभ में ऐलान किया था कि छह फरवरी को राष्ट्रव्यापी चक्का जाम किया जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता टिकैत ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा था कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में शनिवार को चक्का जाम नहीं किया जाएगा. एक वरिष्ठ किसान नेता ने बताया कि बीकेयू नेता द्वारा अचानक लिए गए फैसले से मोर्चा के कुछ नेता हैरान हो गए थे.
दर्शन पाल ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, '' बेहतर होता, अगर राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करने से पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने के अपने प्रस्ताव के बारे में हमसे बात की होती. उन्होंने बाद में एसकेएम से चर्चा की और यह संयुक्त चीज थी. '' उन्होंने कहा, '' इसलिए बुनियादी तौर पर हम यहां जो कहना चाह रहे हैं, वह यह है कि उन्होंने जल्दबाजी में इसकी घोषणा की और कुछ नहीं.'' दर्शन पाल ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि एसकेएम में सब कुछ ठीक है और लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि नेताओं के बीच कोई मतभेद हैं.
बाद में शाम ने एसकेएम ने एक बयान जारी कर दावा किया कि चक्का जाम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी किया गया. बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में चक्का जाम पूरी तरह से सफल रहा. बयान में कहा गया है कि किसानों ने मध्य प्रदेश में 200 से अधिक स्थानों पर चक्का जाम किया और किसानों ने महाराष्ट्र के वर्धा, पुणे और नासिक सहित कई स्थानों पर चक्का जाम का नेतृत्व किया.