डीसीजीआई ने प्रेसबायोपिया पर दावों के चलते आई ड्रॉप को दी गई मंजूरी निलंबित की

एनटोड फार्मास्यूटिकल्स ने अपनी आई ड्रॉप के बारे में दावा किया था कि यह प्रेसबायोपिया से प्रभावित लोगों के लिए चश्मे पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकती है.

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नई दिल्ली:

आई ड्रॉप के संबंध में मुंबई स्थित एनटोड फार्मास्यूटिकल्स के दावों पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने कंपनी को अपनी नयी आई ड्रॉप के विनिर्माण और बिक्री के लिए दी गई मंजूरी को निलंबित कर दिया है. हालांकि, एनटोड फार्मास्यूटिकल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) निखिल के. मसुरकर ने कहा कि कंपनी इस फैसले को अदालत में चुनौती देगी.

एनटोड फार्मास्यूटिकल्स का क्या दावा

एनटोड फार्मास्यूटिकल्स ने अपनी आई ड्रॉप के बारे में दावा किया था कि यह प्रेसबायोपिया से प्रभावित लोगों के लिए चश्मे पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकती है. ‘नेशनल आई इंस्टीट्यूट' के अनुसार, प्रेसबायोपिया होने की स्थिति में अधेड़ और अन्य वयस्क लोगों के लिए नजदीक की चीजों को देखना कठिन हो जाता है. औषधि नियामक ने कहा कि कंपनी ने जिस औषधि उत्पाद के लिए दावे किए, उसके लिए उसने केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ली, जिससे नयी औषधि और क्लिनिकल परीक्षण नियमावली, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ.

आई ड्रॉप पर कंपनी से मांगा गया क्लियरेंस

डीसीजीआई ने 10 सितंबर को जारी आदेश में कहा कि निदेशालय ने वयस्कों में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन के विनिर्माण और विपणन के लिए 20 अगस्त को अनुमति दी थी. इसके बाद चार सितंबर को औषधि नियामक ने प्रेस में किए गए दावों के लिए कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके बाद दवा निर्माता ने भी अपना जवाब प्रस्तुत किया था.

कंपनी ने दावे में इसे ‘‘पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता को कम करने के वास्ते भारत में निर्मित पहली आई ड्रॉप'' बताया था. कंपनी ने कहा कि वर्तमान में भारत में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए कोई अन्य आई ड्रॉप स्वीकृत नहीं है. आदेश में कहा गया, ‘‘इस संबंध में, आपको सूचित किया जाता है कि पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25 प्रतिशत डब्लू/वी को ऐसे किसी दावे के लिए अनुमोदित नहीं किया गया है कि इसे पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता को कम करने के वास्ते तैयार किया गया है.''

कंपनी ने दावा किया था कि यह आई ड्रॉप एक ऐसी दवा है जो चश्मे की आवश्यकता के बिना नजदीक की चीजों को देखने के लिए दृष्टि को बढ़ा सकती है. आदेश में कहा गया, ‘‘इस संबंध में, आपको सूचित किया जाता है कि पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25 पीसी डब्लू/वी वयस्कों में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए स्वीकृत है और इस दावे के लिए स्वीकृत नहीं है कि ये आई ड्रॉप चश्मे की आवश्यकता के बिना निकट दृष्टि को बढ़ा सकती है.''

कंपनी के दावों से किस बात का डर

औषधि नियामक ने यह भी कहा कि कंपनी अन्य सवालों का उत्तर देने में विफल रही है तथा उसने उस उत्पाद के लिए दावों को सही ठहराने का प्रयास किया जिसके लिए कोई अनुमोदन नहीं दिया गया था. आदेश में कहा गया कि मीडिया की विभिन्न खबरों पर विचार करते हुए, ऐसी संभावना है कि कंपनी द्वारा किए गए दावों से आम जनता गुमराह हो सकती है, जिसके लिए कोई मंजूरी नहीं दी गई थी.

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आदेश में कहा गया है, ‘‘इसके मद्देनजर और सार्वजनिक हित पर विचार करते हुए, औषधि एवं प्रसाधन कानून, 1940 की नई औषधि एवं क्लिनिकल ट्रायल नियमावली, 2019 के नियम 84 के प्रावधानों के तहत पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25 प्रतिशत डब्लू/वी के निर्माण और विपणन के लिए जारी की गई अनुमति को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है.''

एनटोड फार्मास्यूटिकल्स खटखटाएगी कोर्ट का दरवाजा

एनटोड फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ मसुरकर ने एक बयान कहा कि कंपनी इस निलंबन को अदालत में चुनौती देगी. उन्होंने कहा, ‘‘एनटोड फार्मास्यूटिकल्स ने प्रेस्वू आई ड्रॉप्स के संबंध में मीडिया या जनता के समक्ष कोई अनैतिक या गलत तथ्य प्रस्तुत नहीं किया है.'' उन्होंने कहा कि एनटोड फार्मास्यूटिकल्स को निलंबन आदेश प्राप्त हुआ है, जिसमें इस कार्रवाई के लिए औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के किसी विशेष उल्लंघन का कोई संदर्भ नहीं है.

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मसुरकर ने कहा, ‘‘हम एमएसएमई क्षेत्र की एक गौरवशाली भारतीय फार्मा कंपनी एनटोड फार्मास्यूटिकल्स के खिलाफ इस कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करते हैं, जो पूरी तरह से अनुसंधान और नवाचार से प्रेरित है और भारतीय बाजार में नए चिकित्सीय विकल्प लाने का प्रयास करती है.'' 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)