30 दिनों के अंदर होगा डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन, दिशा-निर्देश भी करेंगे जारी: केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर

लोकसभा में 7 अगस्त को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 (DPDP) पास हो गया था. यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा. कंपनियों को यह बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और कौशल विकास उद्यमिता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर.
नई दिल्ली:

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection (DPDP) Act, 2023) को अमल में लाने के लिए अगले एक महीने के अंदर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ( Data Protection Board) का गठन किया जाएगा. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और कौशल विकास उद्यमिता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar)ने बुधवार को ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन करने के साथ-साथ डीपीडीपी एक्ट के तहत जरूरी नियमों का दिशा-निर्देश भी एक महीने के भीतर जारी किया जाएगा.

लोकसभा में 7 अगस्त को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 (DPDP) पास हो गया था. यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा. कंपनियों को यह बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं. विधेयक में इसके प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपये से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. पुराने बिल में यह 500 करोड़ रुपये तक था.

विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड लेगा फैसला
विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा. नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा. ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी. ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो.

Advertisement

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट को अमल में लाने को लेकर आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दिल्ली में उद्योग और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों, नीति निर्माण, विधि विशेषज्ञों के साथ बातचीत की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानून निर्माण में हितधारकों के परामर्श को विशेष महत्व देते हैं. यह कानून इसकी एक मिसाल है. उन्होंने इस परिचर्चा के दौरान उद्योग जगत के लोगों के साथ डेटा फिड्यूशियरीज के लिए ट्रांजिशन पीरियड यानी परिवर्तन की अवधि पर भी बात की. 

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘स्टार्टअप व एमएसएमई और अस्पताल जैसे प्रतिष्ठान जो लोगों के डेटा को संभालते हैं, उन्हें कानून के तहत नियमों के अनुपालन के लिए ज्यादा समय दिया जा सकता है, क्योंकि उनको बड़े डेटा फिड्यूशियरीज की तरह डेटा को संभालने का उतना अनुभव नहीं हो सकता है. इसलिए, वे नियमों को सीखने और उनका पालन करने के लिए अधिक समय मांग सकते हैं.''चंद्रशेखर ने कहा कि किसी डेटा फिड्यूशियरीज को नियमों के अनुपालन के लिए कितना समय चाहिए. इसके लिए वैध तर्क होना चाहिए. 

Advertisement


 

Featured Video Of The Day
Ranya Rao Gold Smuggling Case: गोल्ड 'तस्कर' रन्या राव को राहत नहीं, जमानत अर्जी की सुनवाई टली