2012 से 2021 तक बाढ़-बारिश से 2 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान, 17000 से ज्यादा मौतें

केंद्रीय मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा में बाढ़ और बारिश से हुए नुकसान के आंकड़े पेश किए. टुडू ने कहा कि सभी राज्यों (ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों) में भारी बारिश और बाढ़ के कारण नुकसान पर केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा राज्यवार आंकड़े संकलित किए गए हैं.

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ग्रेटर नोएडा में आई बाढ़ से ओला कंपनी का यार्ड डूब गया था.
नई दिल्ली:

देश में इस बार मॉनसून की जबरदस्त बारिश हुई है. भारी बारिश के कारण देश के कई हिस्से में बाढ़ आ गई. खासकर हिमाचल, उत्तराखंड और तेलंगाना में बाढ़ से हालात खराब हैं. इससे फसलों, घरों और सार्वजनिक उपयोगिताओं (पावर प्लांट, वॉटर प्लांट) को खासा नुकसान पहुंचा है. सरकार के मुताबिक, 2012 से 2021 के बीच बाढ़, भारी बारिश से फसलों, घरों और पावर प्लांट और वॉटर प्लांट को 2,76,004.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सरकार ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी है.

केंद्रीय मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा में बाढ़ और बारिश से हुए नुकसान के आंकड़े पेश किए. टुडू ने कहा कि सभी राज्यों (ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों) में भारी बारिश और बाढ़ के कारण नुकसान पर केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा राज्यवार आंकड़े संकलित किए गए हैं. इसके अनुसार फसलों, घरों सहित कुल नुकसान 2,76,004.05 करोड़ रुपये का है.

नुकसान का आंकड़ा (रुपये में):-

2012: 10,944.65 करोड़

2013:  47,348.75 करोड़ 

2014: 15,548.08 करोड़

2015: 57,291.10 करोड़ 

2016:  5,675.33 करोड़ 

2017: 30,665.85 करोड़ 

2018: 21,849.97 करोड़ 

2019: 15,868.53 करोड़ 

2020: 21,194.17 करोड़ 

2021: 49,617.62 करोड़ 

कुल नुकसान: 2,76,004.05 करोड़

2012 से 2021 के बीच 17,000 से अधिक की हुई मौत 
सरकार ने सोमवार को कहा कि देश में 2012 से 2021 के बीच बाढ़ और भारी बारिश से 17,422 से अधिक लोगों की मौत हुई है. जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि ‘‘कम अवधि की उच्च तीव्रता वाली बारिश'' की बढ़ती घटनाएं मुख्य रूप से शहरी बाढ़ के लिए जिम्मेदार हैं, जो अनियोजित विकास, प्राकृतिक जल निकायों के अतिक्रमण और खराब जल निकासी प्रणाली के कारण और बढ़ जाती हैं.

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सरकार ने किए कई पहल
टुडू ने कहा कि बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में शहरी बाढ़ से निपटने के लिए भूजल पुनर्भरण और अन्य प्रकृति-आधारित समाधानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई पहल की गई हैं. उन्होंने कहा, ‘‘भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान-2020 सीजीडब्ल्यूबी द्वारा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से तैयार किया गया है. इसमें 185 अरब घन मीटर (बीसीएम) पानी का दोहन करने के लिए देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन की परिकल्पना की गई है.

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