दिल्ली में आंधी और भारी बारिश के बाद जामा मस्जिद के गुंबद को नुकसान, शाही इमाम ने मरम्मत का आग्रह किया

तेज आंधी-बारिश के दौरान जामा मस्जिद (Jama Masjid) के गुंबद (Dome) का कलश क्षतिग्रस्त होने के एक दिन बाद शाही इमाम ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) को पत्र लिखकर इसकी मरम्मत कराने का आग्रह किया है.

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जामा मस्जिद का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था. 
नई दिल्ली:

तेज आंधी-बारिश के दौरान जामा मस्जिद (Jama Masjid) के गुंबद (Dome) का कलश क्षतिग्रस्त होने के एक दिन बाद शाही इमाम ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) को पत्र लिखकर इसकी मरम्मत कराने का आग्रह किया है.  जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भीषण तूफान को कुछ ऐसा बताया जो उन्होंने अपने पूरे जीवन में ‘कभी नहीं देखा था. ' बुखारी ने कहा, ‘‘डर के कारण लोग तूफानी मौसम से बचने के लिए इधर-उधर भागे, महिलाएं और बच्चे रोते-बिलखते जहां जगह मिली वहां छिप गए.  मस्जिद परिसर में यह भयानक दृश्य था. ''

उन्होंने कहा, ‘‘हवा बहुत तेज चल रही थी.  जामा मस्जिद में मीनारों और मस्जिद के अन्य हिस्सों से पत्थर गिरने से दो या तीन लोग घायल हो गए.  लेकिन, यह कुदरत का करिश्मा ही था कि यहां ज्यादातर लोग सुरक्षित थे. ''बुखारी ने, हालांकि, इस बात पर अफसोस जताया कि मुगलकालीन मस्जिद के गुंबद का कलश सोमवार शाम को तूफान में क्षतिग्रस्त हो गया.  उन्होंने कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत रूप से यह देखकर बहुत दुख हुआ कि मस्जिद का कलश गिर गया. ''

उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त हुए करीब 12-15 फुट का गुंबद भी उसी समय का है, जब मस्जिद का निर्माण हुआ था.  बुखारी ने मंगलवार को एएसआई को एक पत्र लिखकर गुंबद के एक हिस्से के नुकसान के बारे में बताया है और इसकी मरम्मत के लिए मदद करने का आग्रह किया है. एएसआई की महानिदेशक वी विद्यावती को लिखे पत्र में बुखारी ने उल्लेख किया है कि तूफान में कई टुकड़ों में टूटने के बाद, कुछ हिस्सा मुख्य गुंबद के नीचे छत पर गिर गया और एक बहुत भारी हिस्सा ‘‘अभी भी गुंबद से लटका हुआ है और यह कभी भी गिर सकता है. ''

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बुखारी ने यह भी कहा कि फिलहाल सुरक्षा उपाय के रूप में मस्जिद में आम आगंतुकों के प्रवेश को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है और नमाज के दौरान लगभग सौ लोगों को ही अनुमति दी जाएगी क्योंकि वहां गुंबद के लटकते टुकड़े के कारण खतरा है.  एएसआई को लिखे अपने पत्र में बुखारी ने आगाह किया है कि अगर गुंबद का यह क्षतिग्रस्त हिस्सा गिरता है, तो यह इसके सामने की दीवार और उससे जुड़े अन्य क्षेत्र को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘अभी प्रांगण में नमाज की इजाजत नहीं दी जा रही है और गुंबद के पास के इलाके की घेराबंदी कर दी गई है.  मस्जिद के अंदर ही करीब सौ लोगों को ही नमाज अदा करने की इजाजत होगी. ''

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मरम्मत की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मीडिया में गुंबद का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होने की खबर आने के बाद आगरा की एक निजी कंपनी ने भी संपर्क किया है जिसकी एतिहासिक कलाकृतियों को सहेजने के क्षेत्र में विशेषज्ञता है. 

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इस बीच, दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान मंगलवार को जामा मस्जिद गए और गुंबद को हुए नुकसान का निरीक्षण किया.  वह अन्य अधिकारियों के साथ वहां पड़े क्षतिग्रस्त हिस्सों को देखने के लिए छत पर भी गए.  शाही इमाम ने कहा कि इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटक) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी दौरा किया और क्षति का निरीक्षण किया.  पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र जामा मस्जिद का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था, जिसे मूल रूप से मस्जिद ए जहां नुमा नाम दिया गया था.  मुगल सम्राट शाहजहां ने इसका निर्माण करवाया था. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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