कर्ज के तले दबे दलित मजदूर ने ट्रेन के आगे कूदकर दी जान, परिवार ने फाइनेंस कंपनी पर लगाया यह आरोप

राजस्थान के किशनगढ़ में एक दलित मजदूर ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली. वह कर्ज से परेशान था. मृतक के परिजनों का आरोप है कि फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी और रिकवरी एजेंट उसे फोन करके धमकाते थे. पढ़िए सनी उमरिया की रिपोर्ट.

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किशनगढ़:

राजस्थान के किशनगढ़ में कर्ज के बढ़ते दबाव और रिकवरी एजेंटों की कथित धमकियों ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं. किशनगढ़ के गांधीनगर थाना क्षेत्र में गुरुवार देर शाम 52 साल के किशनलाल ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली. परिवार का आरोप है कि उन्हें एक फाइनेंस कंपनी के एजेंट लगातार प्रताड़ित कर रहे थे. इससे तनाव में आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली. 

गांधीनगर थाना प्रभारी संजय शर्मा ने बताया कि घटना शाम करीब 8 बजे कृष्णपुरी फाटक अंडरब्रिज के पास हुई. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया. शुक्रवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया.

कर्ज और धमकियों का सिलसिला

मृतक के भतीजे सीताराम मेघवाल ने बताया कि किशनलाल ने करीब दो साल पहले उमेद फाइनेंस कंपनी से 16 लाख 10 हजार रुपये का कर्ज लिया था. किशनलाल एक पॉवरलूम फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे, लेकिन समय पर किश्तें नहीं चुका पा रहे थे.

सीताराम ने आरोप लगाया कि किश्तें बकाया होने पर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी और रिकवरी एजेंट लगातार उन्हें फोन पर धमका रहे थे. परिवार के अनुसार, आत्महत्या से महज एक घंटे पहले भी किशनलाल को किसी एजेंट का फोन आया था. इसी मानसिक प्रताड़ना से टूटकर उन्होंने यह आत्मघाती फैसला ले लिया.

परिवार बेसहारा, उठ रहे हैं सवाल

किशनलाल के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं, जो इस घटना के बाद पूरी तरह बेसहारा हो गए हैं. इलाके के लोग भी इस घटना से आक्रोश में हैं. उनका कहना है कि रिकवरी एजेंटों की आक्रामक कार्यप्रणाली ही इस त्रासदी की असली वजह है. यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि आखिर फाइनेंस कंपनियों के वसूली एजेंटों की मनमानी पर लगाम कब लगेगी? हालांकि, सुप्रीम कोर्ट भी कई बार इस तरह के मामलों में कंपनियों को संयम बरतने की हिदायत दे चुका है, लेकिन जमीन पर हालात नहीं बदले हैं.

गांधीनगर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पूरे मोहल्ले में शोक का माहौल है. लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर वसूली की इस 'आक्रामक संस्कृति' पर रोक नहीं लगी तो और भी परिवार उजड़ सकते हैं.

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(अगर आपको सहारे की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं)

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