डकोटा विमान की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
भारतीय वायुसेना में एक बार फिर से एक और विंटेज एयरक्राफ्ट डकोटा शामिल होने जा रहा है . डकोटा ने ब्रिटेन के कॉवेंट्री से 17 तारीख को उड़ान भरी थी, और बुधवार को यह गुजरात के जामनगर वायुसेना स्टेशन पहुंच गया. बता दें कि यह विमान लगभग कबाड़ हो चुका था, लेकिन इसकी मरम्मत कर दी गई है और अब इसे वायुसेना में मई के पहले हफ्ते में शामिल किया जाएगा. ब्रिटेन में छह महीने तक मरम्मत कर इस विमान को वायुसेना के बेड़े में शामिल होने लायक बनाया गया है . भारतीय वायुसेना में शामिल होने के साथ ही यह गाज़ियाबाद के हिंडन एयरफ़ोर्स स्टेशन पर विंटेज बेड़े का हिस्सा होगा. डकोटा का नंबर अब वीपी 905 होगा जो 1947 के युद्ध में जम्मू-कश्मीर भेजे गए पहले डकोटा का नंबर भी था .
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भारतीय वायुसेना ने डकोटा का नाम परशुराम रखा है. गौरतलब है कि डकोटा को 1930 में उस वक़्त के रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था, यह 12वीं स्क्वाड्रॉन का हिस्सा था . मुख्य रूप से यह विमान लद्दाख और उत्तर पूर्व में काम करता था.पाकिस्तान से 1947 और 1971 के युद्ध में इस विमान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी .1947 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा तो कश्मीर की घाटी को बचाने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कहा जाता है कि डकोटा की वजह से ही पुंछ भारत के पास है.
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डकोटा ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का ढाका का मोर्चा ढहाने में भी मदद की थी. डकोटा को राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने तोहफ़े में वायुसेना को दिया है. राजीव चंद्रशेखर के पिता एयर कमोडोर एम के चंद्रशेखर डकोटा के वेटरन पायलट रहे हैं.
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वायुसेना के पास पहले से ही विंटेज एयरक्राफ्ट के तौर पर टाइगर मोथ और हार्वर्ड मौजूद है और अगले 5 सालों से 6 और विंटेज एयरक्राफ्ट आएंगे. डकोटा के अलावा हरिकेन और स्पिट फायर आएंगे .
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भारतीय वायुसेना ने डकोटा का नाम परशुराम रखा है. गौरतलब है कि डकोटा को 1930 में उस वक़्त के रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था, यह 12वीं स्क्वाड्रॉन का हिस्सा था . मुख्य रूप से यह विमान लद्दाख और उत्तर पूर्व में काम करता था.पाकिस्तान से 1947 और 1971 के युद्ध में इस विमान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी .1947 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा तो कश्मीर की घाटी को बचाने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कहा जाता है कि डकोटा की वजह से ही पुंछ भारत के पास है.
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डकोटा ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का ढाका का मोर्चा ढहाने में भी मदद की थी. डकोटा को राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने तोहफ़े में वायुसेना को दिया है. राजीव चंद्रशेखर के पिता एयर कमोडोर एम के चंद्रशेखर डकोटा के वेटरन पायलट रहे हैं.
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वायुसेना के पास पहले से ही विंटेज एयरक्राफ्ट के तौर पर टाइगर मोथ और हार्वर्ड मौजूद है और अगले 5 सालों से 6 और विंटेज एयरक्राफ्ट आएंगे. डकोटा के अलावा हरिकेन और स्पिट फायर आएंगे .
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