चक्रवाती तूफान ताउते के कारण डूबे बार्ज P305 पर सवार 261 में से अब भी कई लापता हैं जिनकी तलाश जारी है, लेकिन इस बीच उफनते समंदर में से जिंदा बचकर आए चीफ इंजीनियर ने खुलासा किया है कि तूफान की चेतावनी मिलने के बाद भी बार्ज के मास्टर ने वहीं रुकने का फैसला किया था. गहरे समंदर में डूब चुके बार्ज P305 पर सवार चीफ इंजीनियर रहमान शेख़ बड़ी मुश्किल से जिंदा लौटे हैं. रहमान का कहना है कि तूफान की चेतावनी के बावजूद बार्ज के कप्तान ने वहां रुकने का फैसला किया. कप्तान ने चेतावनी को नजरअंदाज किया. महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने इस मामले में अपराधिक कार्रवाई की मांग की है. वैसे, मुम्बई पुलिस ने फिलहाल मामले में सिर्फ ADR यानी कि दुर्घटना से मौत का केस ही दर्ज किया है.
इस बीच डायरेक्टर जनरल शिपिंग ने मर्चेन्ट शिपिंग कानून के तहत मौतों की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन ONGC ने इन मौतों के मामले में मौन साध रखा है. ONGC के लिए बॉम्बे हाई में ऑयल फील्ड पर काम कर रहे कंसोर्टियम की प्रमुख कंपनी एफकॉन ने बयान जारी कर P305 पर सवार पीड़ित कर्मचारियों को आर्थिक मदद देने के दावे के साथ अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि 14 मई को मिली तूफान की चेतावनी 40 समुद्री मील गति की हवा की थी.बाकी बार्ज बंदरगाह की तरफ लौट आए लेकिन P305 के मास्टर ने प्लेटफॉर्म से 200 मीटर दूर ही लंगर डालकर रुकने का फैसला किया. हालांकि सच ये है कि मौसम विभाग ने 91 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चलने की चेतावनी दी थी.
मौसम विभाग ने उत्तरी अरब सागर में मौजूद सभी नावों को तट पर लौटने की सलाह दी थी, ऐसे में बार्ज P305 का किनारे पर न लौटने का फ़ैसला आत्मघाती साबित हुआ. डूब चुके बार्ज से बचकर लौटे चीफ इंजीनियर के बयान ने बार्ज के मास्टर को कटघरे में खड़ा कर दिया है, लेकिन मास्टर खुद अभी लापता हैं इसलिए अपने बचाव में बात नही रख सकते.इसलिए रुकने का फैसला अकेला उनका था या कंपनी का ये सवाल अभी बना हुआ है?.