चक्रवाती तूफान निवार: चेन्नई से सटे इलाके के लिए फिर एक बुरा सपना, सीएम पलानीस्वामी ने दिया दखल

चेन्नई के समीप के निचले इलाकों में 2015 की बाढ़ के बाद से कुछ भी नहीं बदला है, निवार तूफान फिर बुरे सपने की तरह आया

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चेन्नई में चक्रवात निवार के कारण आई बाढ़ से सैकड़ों परिवारों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा.
चेन्नई:

साल 2015 की बाढ़ ने आईटी पेशेवर कार्तिक नारायणन की पारिवारिक कार और अन्य सामान बह गया था. पांच साल बाद भी चेन्नई के पड़ोस में उनके इलाके में कुछ भी नहीं बदला है. चक्रवाती तूफान निवार जो कि 150 किलोमीटर दूर समुद्र तट से टकराया था, के तीन दिन बाद बारिश तो रुक गई लेकिन सैकड़ों परिवार अभी भी तमिलनाडु की राजधानी के बाहरी हिस्से वरदाराजापुरम में घुटने तक गहरे पानी से गुजर रहे हैं. इस इलाके में चेंबारंबक्कम झील का आतिरिक्त पानी फैला हुआ है.

नारायणन को पानी में से चलते हुए अपने स्ट्रोक पीड़ित पिता के पास दवाइयां पहुंचानी होती हैं. उनकी मां, जो कि एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि इमरजेंसी में भी एम्बुलेंस उन तक नहीं पहुंच सकती है.

नारायण ने कहा कि "बाढ़ और बिजली कटौती के दौरान उन्हें (पिता) को दोबारा स्ट्रोक नहीं होना चाहिए. केवल इस दवा से उनकी जान बच जाएगी." उनके पिता भी परेशान हैं. नारायण गुस्से से पूछते हैं कि "2015 से 2020 तक लोक निर्माण विभाग के अधिकारी क्या कर रहे थे?" 

दो बच्चों की मां कल्पना युवराज तीन दिन तक घर से बाहर नहीं निकल सकीं. जिस क्षेत्र में उनका घर है वह इलाका अब एक झील जैसा दिखता है. उन्होंने कहा कि "गोद में एक बच्चा है. मुझे दूध और आवश्यक सामान भी नहीं मिल सका, और कोई मदद भी नहीं है." 

प्रवासी शिक्षा सलाहकार आरपी पलानीराज भी वरदराजपुरम के निवासी हैं. पिछले दिनों भारी बाढ़ के दौरान उन्हें अपना मोबाइल फोन बंद करना पड़ा. उन्होंने कहा कि "आज ही पानी घुटने तक उतर पाया है. इससे पहले दो दिनों तक पानी सीने तक था. बिना पावर के मैं अपने मोबाइल फोन को चार्ज नहीं कर सकता था. मैंने इसे बंद रखा और केवल इमरजेंसी के लिए इसका इस्तेमाल किया."

मुदिचुर क्षेत्र यहां से ज्यादा दूर नहीं है जहां सेवानिवृत्त सिविल इंजीनियर कामेश्वरन अपने घर को साफ करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जो गुरुवार को बाढ़ में तहस-नहस हो गया. उनकी पत्नी ने दूसरे घर में शरण ली. चूंकि उनके परिवार ने 2015 की आपदा के दौरान बहुत कुछ खो दिया था इसलिए इस बार उन्होंने फर्नीचर और उपकरणों को सुरक्षित ऊंचाई तक पहले ही पहुंचा दिया था.

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चक्रवाती तूफान निवार के तट से टकराने की रात को याद करते हुए उन्होंने कहा, "पानी दो बजे आया. जब मैं उठा, तो मैं कुछ नहीं कर सका... पानी मेरे पैरों पर आ चुका था."

इस निचले इलाके के निवासियों का कहना है कि पास में बने फ्लाईओवर के नीचे की दीवारें तूफान के पानी के प्राकृतिक प्रवाह को रोकती हैं. वे चाहते हैं कि पानी की निकासी के लिए यहां पाइप लाइन डाली जाए.

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तमिलनाडु के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री आरबी उदयकुमार ने कहा, "ये निचले इलाके हैं, लेकिन पानी दो घंटे में निकल सकता है. चेन्नई के लिए यह एक चुनौती है."

शुक्रवार को स्थिति पर NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट देखने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने अधिकारियों से वरदराजपुरम, मुदिचुर, और वेलाचेरी सहित कुछ क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने के लिए कहा. हालांकि फिर भी बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने से यहां के कई निवासियों को अब भी चिंता सता रही है.

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