बहादुरी की मिसाल सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन चीता (Crpf Commandant Chetan Kumar Cheetah) की कोरोना से जंग जारी है. उनके मजबूत इरादे के सामने कोविड (Covid-19) भी अब हार मानता नजर आ रहा है. शांति काल में बहादुरी के दूसरे सबसे सम्मान कीर्ति चक्र (Kirti Chakra) से सम्मानित सीआरपीएफ के चेतन चीता अब वेंटिलेटर से बाहर आ गए हैं. उनकी हालत पहले से बेहतर बताई जा रही है, लेकिन अभी भी उन्हें आईसीयू में ही रखा गया है. झज्जर के एम्स (AIIMS Jhajjar) में 9 मई से भर्ती चेतन चीता को हालात बिगड़ने पर 31 मई को वेंटिलेटर पर रखा गया. अब जब उनकी तबीयत कुछ ठीक हुई तो 8 जून को उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया है. अब उनको हाई फ्लो ऑक्सिजन पर रखा गया है.
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चेतन चीता की पत्नी उमा सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि पहले की स्थिति गंभीर थी अब उनकी तबीयत ठीक हो रही है. एम्स के डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है और सीआरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक उनका हर संभव बेहतर इलाज हो रहा है. अब उनकी हालत में भी तेजी से सुधार हो रहा है.
अपनी बहादुरी के लिए चेतन चीता तब चर्चा में आये थे जब उन्होंने आतंकियों को धूल चटाई थी. 14 फरवरी 2017 को कश्मीर के बांदीपोरा में हुई मुठभेड़ में आतंकियों ने गोलियों से उनके शरीर को छलनी कर दिया था. उन पर एक साथ 30 गोलियां दागी गईं.
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उनके शरीर में नौ गोली लगी थी. इसके बावजूद वे हिम्मत नहीं हारे, बुरी तरह घायल होने बावजूद चेतन चीता ने आतंकियों पर 16 राउंड फायर किए. एक आतंकी को मार भी गिराया. बुरी तरह जख्मी हुई चेतन चीता के लिए पूरे देश ने दुआएं की. एम्स में 100 डॉक्टरों की टीम की मेहनत रंग लाई. 51 दिन एम्स में रहने के बाद इस जाबांज ने मौत को पटखनी दी और फिर से डयूटी ज्वाइन की. उम्मीद है कि वह कोरोना को भी हराकर फिर मैदान में लौटेंगे और देश के दुश्मनों के दांत खट्टे करेंगे.