कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच भारत सरकार की ओर से कोविड ड्रग्स और मेडिकल उपकरणों पर भारत सरकार की ओर से टैक्स लेने पर भारत सहित विदेशी मेडिकल एक्सपर्ट्स भी हैरान हैं. इस रिपोर्ट के लिए जिससे भी बात की गई, सबने कहा कि इसपर रोक लगनी चाहिए.
बता दें कि अगर कोई आयातित ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर खरीदता है तो भी उसे IGST के रूप में सरकार को 12 फीसदी टैक्स देना होगा. 1 मई तक यह टैक्स 28 फीसदी था, लेकिन फिर राहत के तौर पर इसे घटा दिया गया था. लेकिन 12 फीसदी भी क्यों? ऐसे संकट के वक्त में क्यों इसे टैक्सफ्री नहीं रखा जा सकता? जो लोग ऑक्सीजन मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो कोविड मरीज हैं, और फिर भी सरकार उनसे मेडिकल सुविधाओं पर टैक्स देने को कह रही है, ताकि उसका राजस्व बढ़ता रहे.
अगर मरीज की ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स तक पहुंच रहेगी और उसे इसकी जररूत है तो वो डॉक्टर के सलाह पर अस्पताल में भर्ती होने से बच सकता है. तो फिर क्या ऐसी सुविधाओं पर टैक्स लगाने की बजाए इसे प्रोत्साहन, इंसेटिव नहीं देना चाहिए?
सरकारी बजट के लिए सरकार कई मेडिकल सप्लाई पर आम जनता से रेवेन्यू बटोर रही है. सरकार ऐसे लोगों से टैक्स ले रही है, जो कोविड से जुड़ी दवाइयां जैसे रेमडेसिवीर सहित कई अन्य दवाइयां खरीद रहे हैं, वहीं जो लोग सप्लीमेंट्स और ऑक्सीजन सिलिंडर्स के लिए मेडिकल श्रेणी का ऑक्सीजन खरीद रहे हैं, उनपर12 फीसदी तक का टैक्स लगा रही है.
होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को दिल्ली सरकार के पोर्टल पर आवेदन कर मिलेगी ऑक्सीजन
ग्लोबल मेडिकल एक्सपर्ट्स सवाल उठा रहे हैं कि इस संकट के समय में, जब भारत के लोग ऑक्सीजन और मेडिकल सुविधाओं के लिए तड़प रहे हैं, सरकार इससे पैसे क्यों बना रही है?
देशभर में लाखों परिवार कोविड का कहर झेल रहे हैं. लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई के साथ-साथ अपनों को भी खो दे रहे हैं. लोग अपनों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे लोगों का खर्च कवर नहीं कर रहीं, जिन्हें महंगे टेस्ट कराने पड़ रहे हैं, या फिर घर पर कोविड का इलाज करा रहे हैं.
ऐसे में मेडिकल क्षेत्र के लोग हैरान हैं कि सरकार लोगों के दुख और पीड़ा के इस वक्त में 'मुनाफाखोरी' क्यों कर रही है? कोविड के लिए इस्तेमाल में आ रहे सभी मेडिकल उपकरणों पर से सभी तरह के टैक्स को खत्म करने की मांग तेज हो रही है.