कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत का इंतजार खत्म, सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी

सोमानी ने कहा, "यदि सुरक्षा से जुड़ी थोड़ी सी भी शंका होती तो हम कभी किसी भी चीज को अनुमति नहीं देंगे. दोनों वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित है."

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डीसीजीआई ने कोरोना वैक्सीन को दिया ग्रीन सिग्नल

नई दिल्ली:

कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) को लेकर भारत का इंतजार अब खत्म हो गया है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड' और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन' के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को रविवार को मंजूरी दे दी. जिससे व्यापक टीकाकरण अभियान का रास्ता साफ हो गया है. डीसीजीआई ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वी.जी. सोमानी ने कहा कि दोनों कंपनियों ने ट्रायल रन के आंकड़े जमा कर दिए हैं और दोनों को "सीमित उपयोग" के लिए मंजूरी दी जाती है. 

सोमानी ने कहा, "यदि सुरक्षा से जुड़ी थोड़ी सी भी शंका होगी तो हम कभी भी किसी भी चीज को अनुमति नहीं देंगे. वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित है. कुछ साइड इफैक्ट्स जैसे हल्का बुखार, दर्द और एलर्जी सभी वैक्सीन में होते हैं."  उन्होंने आगे कहा कि कोविशील्ड को 70.42 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है जबकि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन सुरक्षित है और मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देती है. 

वहीं, कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बधाई देते हुए कहा कि सीरम इंस्टीटयूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को DCGI की मंजूरी मिलने के बाद कोरोना मुक्त राष्ट्र होने का रास्ता साफ हो गया है. 

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सोमानी ने कहा, ‘‘सीडीएससीओ ने पर्याप्त अध्ययन के बाद विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला किया है और तदनुसार मैसर्स सीरम और मैसर्स भारत बायोटेक के टीकों के आपात स्थिति में सीमित उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान की जा रही है.''

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दोनों वैक्सीन की दो खुराक दी जाएंगी और इन वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया गया है. 

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औषधि नियामक ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में 1600 प्रतिभागियों पर दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल किया है. उन्होंने कहा  कि सीमित उपयोग के लिए सिफारिश की गई थी और वैक्सीन का ट्रायल जारी रहेगा. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई इस वैक्सिन का इस्तेमाल विदेश में पहले से हो रहा है. 

आईसीएमआर के साथ मिलकर भारत बायोटेक कोवैक्सीन का ट्रायल कर रही है. ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि इसका पहला और दूसरा ट्रायल करीब 800 लोगों पर किया गया था और यह "सुरक्षित तथा मजबूत प्रतिरक्षा क्षमता देती है." तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और 25,800 प्रतिभागियों में 22,500 को वैक्सीन लगाई गई है. 

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भारत बायोटेक की वैक्सीन Covaxin को ' क्लिनिकल ट्रायल मोड ' में इमरजेंसी हालात में बहुत सावधानी के साथ इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. इसका मतलब ये वैक्सीन लगाते वक्त वही सारे प्रोटोकॉल फॉलो होंगे जो क्लीनिकल ट्रायल करते वक्त होते हैं. इसमे 'वैक्सीन देने के पैमाने और ना देने के पैमाने' तय हैं. उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को कोरोना हो चुका है तो उसको यह वैक्सीन नहीं दी जा सकती है.

इससे पहले, वैक्सीन की सिफारिश के लिए बनाई गई सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने शनिवार को भारत बायोटेक के कोविड टीके कोवैक्सीन (Covaxin) को कुछ शर्तों के साथ आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने की सिफारिश की थी. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन कोविशील्ड (COVISHIELD) को एक्सपर्ट कमेटी ने शुक्रवार को हरी झंडी दे दी थी. कमेटी ने एक और दो जनवरी को बैठक की और भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को मंजूरी पर विचार करने और इस पर अंतिम निर्णय के लिए सिफारिशें भेजी थीं. 

कोवैक्सीन (Covaxin) को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड' के उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है.

(भाषा के इनपुट के साथ)

वीडियो: सीरम इंस्टीट्यूट-भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी

  

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