मुंबई : कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मिसाल बना शिवडी के वार्ड 206 का कोरोना माइक्रो मैनेजमेंट

बीएमसी कर्मी सुनील साटम बताते हैं, पूरे शौचालय, खासकर नल और दरवाजे की कड़ी को सेनेटाइज किया जाता है. स्थानीय युवकों की मदद से 'मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी' के तहत बस्ती के हर परिवार की मेडिकल हिस्ट्री एकत्रित की गई है.

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शिवड़ी का वार्ड नंबर 206 में 'कोरोना को लेकर मैनेजमेंट' मिसाल साबित हो रहा है

मुंंबई:

वर्ष 2020 में मुंबई के उपनगर, धारावी को कोरोना मैनेजमेंट मॉडल को सराहा गया था लेकिन अब सालभर बाद 2021 में शिवडी  का वार्ड नंबर 206 में कोरोना माइक्रो मैनेजमेंट कारगर साबित हो रहा है. इलाके के नगरसेवक सचिन पड़वल का दावा है कि पिछले साल इस वार्ड में जहां 50 के करीब कोरोना पॉजिटिव के केस आते थे वहीं इस बार सिर्फ 8 से 10 केस आ रहे हैं. दरअसल, शिवड़ी इलाके में गरीब मजदूरों की झुग्गी बस्ती है लेकिन यहां कोविड माइक्रो मैनेजमेंट ऐसा है कि ऊंची इमारतों में रहने वालों को मात दे रहा है.

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बृहन्‍नमुंबई म्‍युनिसिपिल कार्पोरेशन (BMC) के हेल्‍थ ऑफिस (इसे मिनी वॉर रूम भी कह सकते हैं) में सभी का डेटा है. यदि कोई पॉजिटिव हो जाता है तो उसकी व्‍यवस्‍था यहां की जाती है. बीएमसी की नर्स पूनम साखलकर कहती हैं, '206 वार्ड के स्लम में कोरोना केस बहुत कम है जबकि पिछले साल बहुत ज्यादा था. वार्ड नंबर 206 में तकरीबन 60 हजार लोग रहते हैं और ज्यादातर सार्वजनिक शौचालय पर निर्भर हैं, जहां संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. इसके बावजूद यहां कोरोना के केस कम आना वाकई सराहनीय है. सभी 762 शौचालयों को दिन में दो बार सेनेटाइज़ किया जाता है.

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बीएमसी कर्मी सुनील साटम बताते हैं, पूरे शौचालय, खासकर नल और दरवाजे की कड़ी को सेनेटाइज किया जाता है. स्थानीय युवकों की मदद से 'मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी' के तहत बस्ती के हर परिवार की मेडिकल हिस्ट्री एकत्रित की गई है. कैम्प लगाकर सभी बुजुर्गों का टीकाकरण करवाया गया है. यही नहीं, 45 साल के ऊपर के लोगों को भी टीका दिलवाया जा रहा है. बीएमसी हेल्थ पोस्ट के जरिए लगातार लोगों का मार्गदर्शन किया जाता है. स्थानीय नगरसेवक सचिन पडवल कहते हैं, 'अगर कोई भी कोविड मरीज आज भी आता है तो व्हाट्सएप ग्रुप पर हमें पता चलता है. कोविड वारियर्स आसपास के 10 परिवारों को अलर्ट करता है अगर उनमें से किसी को बुखार है तो वॉर  रूम को अलर्ट कर देते हैं. कुल मिलाकर पूरी कोशिश यह है कि माइक्रो मैनेजमेंट के जरिये संक्रमण बढ़ने पर रोक लगाई जा सके.

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