बच्चों को नहीं है कोरोना से ज्यादा खतरा, खोले जा सकते हैं स्कूल: WHO चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या स्वामीनाथन

डॉ सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि बच्चों को कोरोना से उतना खतरा नहीं है जितना इससे है. उन्होंने कहा कि WHO और UNICEF ने हमेशा से ही कहा है कि बंद करने के क्रम में स्कूल सबसे आखिर में आने चाहिए और खुलने के क्रम में सबसे पहले.

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जरूरी एहतियात के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं.

नई दिल्ली:

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने NDTV से खास बातचीत में कहा कि कोरोना संक्रमण के डर से स्कूल बंद रखना सही नहीं है, इससे पिछले दो सालों से बच्चों का संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास बंद हो चुका है. उनका कहना है कि बच्चों को कोरोना से उतना खतरा नहीं है जितना इससे है. उन्होंने कहा कि WHO और UNICEF ने हमेशा से ही कहा है कि बंद करने के क्रम में स्कूल सबसे आखिर में आने चाहिए और खुलने के क्रम में सबसे पहले. उनका कहना है कि दो साल में कोरोना संक्रमण में यह देखा गया है कि यह बच्चों को सबसे कम प्रभावित कर रहा है. अगर बच्चों को होता भी है तो उन्हें यह ज्यादा बीमार नहीं करता. लिहाजा जरूरी एहतियात के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं.

डॉ स्वामीनाथन ने कहा, "इसके लिए लोगों और सरकारों को विचार करने की जरूरत है, क्योंकि ओमिक्रॉन कोरोना का आखिरी वेरिएंट नहीं है, ऐसा संभव है कि भविष्य में इसके और वेरिएंट्स सामने आएं. ऐसे में अभी सी तैयारी करने की जरूरत है कि अगर भविष्य में फिर से केस बढ़ने लगे तो हमें क्या एक्शन लेना चाहिए, पहले क्या बंद करना चाहिए. शुरू से ही WHO और UNICEF ने कहा है कि स्कूल हमेशा खुले रहने चाहिए, क्योंकि हम जानते हैं कि बच्चों की केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि संपूर्ण​ विकास भी स्कूल में होता है. पिछले दो सालों में इसका बहुत नुकसान हुआ है और यह नुकसान लंबे समय तक झेला जाने वाला नुकसान है. हमारी सलाह है दुनियाभर में सभी सरकारों को कि जहां तक संभव हो स्कूल खुले रखें."

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उन्होंने आगे कहा, "अभिभावकों का सवाल है कि क्या वैक्सीनेशन के बिना बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित होग. तो जवाब है कि हां हम भेज सकते हैं, क्योंकि दो सालों से जो हम संक्रमण को देखते आ रहे हैं, इसमें एक चीज जो सबसे अच्छी सामने आई है वो यह है कि बच्चे अगर संक्रमित हो भी जाएं तो ज्यादा बीमार नहीं होते. बहुत कम ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है तो उन्हें ज्यादा खतरा है. वहीं हैल्दी नॉर्मल बच्चों को इसका सबसे कम खतरा है. बच्चों को खतरा बीमारी से नहीं बल्कि दो साल से जो उनका ​संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास बंद हो चुका है उससे है. हां स्कूल जाने से कुछ केस जरूर बढ़ सकते हैं. इससे बचने के लिए छह साल से बड़े बच्चे स्कूल मास्क पहन कर जा सकते हैं."

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ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट कितना घातक माना जा रहा है, इस सवाल के जवाब में डॉ स्वामीनाथन ने कहा, "सब वेरिएंट BA.2, ओमिक्रॉन का ही स​ब लीनिएज है, इसके तीन लीनिएजिस होते हैं जैसे BA.1, BA.2 और BA.3, शुरू में BA.1 प्रमुख था, अब भारत, डेनमार्क और यूके में BA.2 सब वेरिएंट बढ़ रहा है. कई देशों में अब केस कम होने लगे हैं, लेकिन BA.2 बढ़ रहा है. इसका यह म​तलब है कि यह ज्यादा फैलता है और ज्यादा असर कर सकता है, यानी कि अभी भी सावधानी की जरूरत है."

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