EXCLUSIVE: कफ सिरप पर सरकार सख्‍त, अब बाजार में लाने से पहले होगी सरकारी लैब में जांच

Cough Syrups: देश में खांसी की दवाओं में जहरीले रसायनों की मिलावट के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार दवाओं की निगरानी, जांच और गुणवत्ता को लेकर कड़े कदम उठा रही है. सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाली 10 रसायनों को हाई रिस्क की केटेगरी में भी रखा है.

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अब बाजार में लाने से पहले होगी सरकारी लैब में कफ सिरप की जांच
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  • केंद्र सरकार ने कफ सिरप की घरेलू बाजार में बिक्री से पहले सरकारी लैब में जांच अनिवार्य कर दी है
  • सिरप बेचने वाली फार्मा कंपनियों को सर्टिफिकेट ऑफ एनालिसिस सरकारी या प्रमाणित प्रयोगशालाओं से लेना होगा
  • जहरीले रसायनों की मिलावट के मामलों के बाद दवाओं में इस्तेमाल होने वाले 10 रसायनों को हाई रिस्क श्रेणी में रखा
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नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार नें कफ सिरप पीने से बच्चों की हुई मौत के बाद बड़ा फैसला किया है. अब भारत में भी कफ सिरप की सरकारी लैब में जांच ज़रूरी कर दी गई है. पहले ये नियम सिर्फ विदेश भेजी जाने वाली सिरप की जांच के लिए अनिवार्य था, लेकिन अब घरेलू बाज़ार में भी सिरप बेचने से पहले भी जांच होगी. फ़ार्मा कंपनियों को सिरप बेचने से पहले सर्टिफिकेट ऑफ एनालिसिस लेना होगा. यह सर्टिफिकेट सरकारी या सरकार द्वारा तय की गई प्रयोगशालाओं से जांच के बाद मिलेगा. जांच और प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही कफ सिरप बाज़ार में बेचे जा सकेंगे. यह नियम उन सिरप और दवाओं पर लागू होगा जिनमें डीईजी या ईजी जैसे रसायन होते हैं.

सब कुछ सरकार की देखरेख में

देश में खांसी की दवाओं में जहरीले रसायनों की मिलावट के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार दवाओं की निगरानी, जांच और गुणवत्ता को लेकर कड़े कदम उठा रही है. सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाली 10 रसायनों को हाई रिस्क की केटेगरी में भी रखा है. केंद्र ने इन रसायनों की तत्काल निगरानी को लेकर राज्यों को आदेश भी जारी किया है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) नें सभी राज्यों से कहा है कि अब इन हाई रिस्क सॉल्वेट्स की पूरी सप्लाई की प्रक्रिया सरकारी निगरानी के दायरे में रहेगी. यानी उत्पादन से लेकर दवाओं के बाजार तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया सब कुछ सरकार की देखरेख में रहेगी.  

पोर्टल पर डिजिटल रूप से किया जाएगा ट्रैक

हाल में सरकार द्वारा शुरू किए गए ONDLS पोर्टल पर डिजिटल रूप से इसको ट्रैक किया जाएगा. ग्लिसरीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकोल, माल्टिटोल और माल्टिटोल सॉल्यूशन, सोर्बिटोल और सोर्बिटोल सॉल्यूशन, हाइड्रोजेनेटेड स्टार्च हाइड्रोलाइसेट, डाइएथिलीन ग्लाइकोल स्टिऐरेट्स, पॉलीएथिलीन ग्लाइकोल, पॉलीएथिलीन ग्लाइकोल मोनोमेथिल ईथर, पॉलीसॉर्बेट और पॉलीऑक्सिल कंपाउंड्स और एथिल अल्कोहल रसायन को हाई-रिस्क सॉल्वेंट्स की सूची में रखा गया है.  

CDSCO ने अपने आदेश में कहा है कि दवाओं में इनका इस्तेमाल करने वाली फ़ार्मा कंपनियों को ओएनडीएलएस पोर्टल पर पंजीयन करना होगा. जिन कंपनियों के पास पहले से मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस हैं, वो भी पोर्टल पर अपनी जानकारी अपडेट करेंगी.

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