बाबा रामदेव की कोरोना दवाई पर हुए विवाद के बाद मैदान में उतरे आचार्य बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से दिए गए बयान गलत है, प्राचीन काल से चले आ रहे आयुर्वेद का अपमान है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अपना बयान वापस ले.

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पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण.
नई दिल्ली:

बाबा रामदेव की कोरोना दवाई 'कोरोनिल' पर हुए विवाद के बाद अब पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण सामने आए हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि आयुर्वेद का डंका पूरे विश्व में बजा दिया है. आयुर्वेद की विरोधियों में खलबली मची है. आचार्य बालकृष्ण ने बाकायदा 4 पन्नों की प्रेस रिलीज टि्वटर पर जारी की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'आज की महामारी में, #कोरोनिल ने #WHO-GMP, #CoPP लाइसेंस प्राप्त करके, #आयुर्वेद का डंका पूरे विश्व में बजा दिया है। आयुर्वेद की विरोधियों में खलबली मची है। जानिए सच क्या है.

प्रेस रिलीज में कहा गया है, 'पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट कोरोनिल पर जारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की प्रेस रिलीज से हैरान है. इतने अच्छे खासे डॉक्टर भी साइंटिफिक रिसर्च के कंसेप्ट को नहीं समझ रहे यह बहुत निराशाजनक है. 19 फरवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आयुर्वेद के साथ राष्ट्रीय हेल्थ केयर सिस्टम के एकीकरण की बात की थी जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के हाल में उठाए कदम के अनुरूप है. डॉ हर्षवर्धन ने कभी भी मॉडर्न मेडिसिन को कमतर नहीं पेश किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी मौजूदगी दिखाती है कि वह अन्य मेडिसिन सिस्टम को स्वीकार्यता दिलाने के लिए कितने ईमानदार प्रयास कर रहे हैं.'

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साथ ही कहा गया है, 'आज के हालात में यह बहुत दुखद है कि कुछ हेल्थ केयर प्रोफेशनल साइंटिफिक रिसर्च और उसकी समझ के प्रति कम ध्यान देते हैं और इसी कारण 'Falsely Fabricated Unscientific Product' जैसे आरोप इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अधिकारी लगाते हैं. हमारी सभी रिसर्च स्टडी पियर रिव्यू होकर रिसर्च जर्नल में छपी हैं. इसके अलावा अट्ठारह रिसर्च पेपर पियर रिव्यु के साथ हेल्थ जर्नल में छपने के लिए पाइप लाइन में हैं.'

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इसके अलावा कहा गया है कि कोरोनिल एक सुबूत आधारित दवाई है प्री-क्लीनिकल और क्लीनिकल एक्सपर्टीज का साइंटिफिकली वैलिडेटेड रिसर्च एविडेंस एकीकृत है. कोरोनिल कोई खुफिया मेडिसिन नहीं बल्कि इसके सभी तत्वों के बारे में आम जनता के बीच में जानकारी दी गई है. यही नहीं सभी रिसर्च और समीक्षा के बाद सक्षम लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने मंजूरी दी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से दिए गए बयान गलत है, प्राचीन काल से चले आ रहे आयुर्वेद का अपमान है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अपना बयान वापस ले.

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