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कोरोना वायरस से पश्चिमी देशों की बजाय भारत में मौतें कम क्यों?

कोरोना की वजह से दुनिया के अमीर देशों में ही ज़्यादा मौत रिपोर्ट हुई है. जो गरीब देश हैं उनमें मरने वालों की तादाद कम है. आखिर वजह क्या है? इस पर CSIR ने एक शोध किया है जो आज ही करंट साइंस जर्नल में पब्लिश हुआ है.

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देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 1,08,58,371 हो गए.
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (Coronavirus) से भारत में अब तक 1,55,252 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि भारत में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 (Covid-19) के 11,067 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 1,08,58,371 हो गए. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 1,05,61,608 लोगों के संक्रमण मुक्त होने के साथ ही संक्रमण से ठीक होने की राष्ट्रीय दर बढ़कर 97.27 प्रतिशत हो गई. वहीं कोविड-19 से मृत्यु दर 1.43 प्रतिशत है. लेकिन सवाल यह है कि भारत में पश्चिमी देशों की बजाय कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या कम है.

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कोरोना की वजह से दुनिया के अमीर देशों में ही ज़्यादा मौत रिपोर्ट हुई है. जो गरीब देश हैं उनमें मरने वालों की तादाद कम है. आखिर वजह क्या है? इस पर CSIR ने एक शोध किया है जो आज ही करंट साइंस जर्नल में पब्लिश हुआ है. 

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शोध पर CSIR के महानिदेशक डॉक्टर शेखर मांडे ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि अमीर देशों के लोगों का शरीर नए विषाणु को झेलने के लिए उतना तैयार नहीं रहता. वहीं लोअर और मिडिल इनकम ग्रुप वाले देश में जहां हाइजीन कम है, वहां ऐसे विषाणु हमारे आस पास ही रहते हैं. और हमारा शरीर हाइपर रिएक्ट नहीं करता है.

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उन्होंने बताया, वायरस का Multiplication 7-8 दिनों तक होता जाता है फिर कम होना शुरू होता है. 12 से 14 दिन में वायरस पूरी तरह चला जाता है. हमारा शरीर 7-8 दिनों में उसको रिएक्ट करना शुरू करता है. जो लोग कोरोना से मर रहे हैं, उनके शरीर में ये प्रतिरोधकता कुछ ज्यादा ही रिएक्ट कर जाती है, इसे Hyperimmune Reaction कहते हैं.'

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गरीब देशों की बजाय अमीर देशों में ज्यादा मौत के पीछे के कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अमीर देशों में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग ज्यादा हैं. दूसरा वहां शहरीकरण ज्यादा हुआ है. साथ ही बताया कि इम्यून रिएक्शन की बीमारियां अमीर देशों में ज़्यादा हैं

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