बिहार सरकार जहां दावा कर रही है कि राज्य में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और पॉज़िटिव लोगों की संख्या में कमी आ रही है. वहीं जमीनी हकीकत इससे अलग है. NDTV की टीम ने कैमूर जिले के एक गांव बामहौर खास का दौरा किया तो वहां लोगों ने जो आपबीती सुनाई, उससे साबित हो रहा हैं कि ग्रामीण इलाक़ों की स्थिति बदतर हैं और वहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं. गांव के अशोक कुमार चौधरी ने कोरोना की दूसरी लहर में अपनी चाची को खोया है. अशोक कहते हैं, 'पहले बुखार आया ..फिर गला में कफ हुआ और फिर मौत हो गई कोरोना का टेस्ट हुआ लेकिन काग़ज़ नहीं लिया. गांव के ही आलोक सिंह की कहानी अशोक कुमार चौधरी से अलग नहीं है. कोरोना के कारण उन्होंने पिता को गंवाया है.
आलोक कहते हैं, ' उन्होंने दूसरा खुराक लिया और बुखार आया. हॉर्ट के मरीज थे और शुगर भी था. सरकारी हॉस्पिटल में लेकर गए. उन्होंने सुई लगाई और कुछ ही देर मौत हो गई. बामहौर ख़ास गांव के लोगों के लोगों का कहना हैं कि पिछले 25 दिन में 34 लोगों की मौत हुई है. गांव के कामत कांत पाडेय के अनुसार, लोगों के इलाज में जमकर लापरवाही हो रही हैं. उन्होंने बताया, 'पहले मलेरिया, टायफ़ायड तब कोरोना हुआ था फिर 36 घंटे ऑक्सीजन लगी रही. ग्रामीणों के अनुसार, गांव में बीमारों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. गांव में 70 प्रतिशत लोग बीमार हैं. ऐसे समय जब सरकार मामलों में कमी आने का ढिंढोरा पीटकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है, गांवों में कोरोना के लेकर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.