हवा में एक घंटे से ज्‍यादा समय तक मौजूद रह सकता है कोविड-19 का वायरस, नई स्‍टडी में हुआ खुलासा

सीसीएमबी के निदेशक वैज्ञानिक डॉ. राकेश मिश्रा और इम्टेक के निदेशक डॉ संजीव खोसला ने बताया अध्ययन में पाया गया है कि बंद स्थानों में अधिक समय बिताना किस तरह जोखिम भरा हो सकता है, ऐसे में मास्क की अहमियत बढ़ जाती है.

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नई स्‍टडी में कोरोना वायरस को लेकर अहम खुलासा हुआ है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

मुंंबई:

Corona Virus: कोविड-19 का वायरस (Covid-19 Virus) हवा के जरिए भी फैल सकता है, ये चर्चा तो लंबे समय से जारी थी, लेकिन नई स्टडी में इसके सबूत भी मिले हैं. काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) की दो लैब की नई स्टडी (New Study) में अलग-अलग अस्पतालों के कोविड वॉर्ड्स में मौजूद हवा के सैम्पल में कोविड का वायरस मिला है. दावा किया जा रहा है कि खुले में तैरने वाले ये कण, एक घंटे से ज्यादा समय तक हवा में बने रह सकते हैं. हालांकि, बगैर लक्षणों वाले मरीजों के मामले में खतरा कुछ कम है.

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सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) और सीएसआईआर की स्टडी में पता चला है कि जिन कमरों में कोरोना वायरस मरीजों (Corona Patients) ने ज्यादा समय बिताया, वहां वायरस हवा में एक घंटे से अधिक समय तक पाया गया. मरीजों के बैठने के स्थानों से कुछ मीटर से अधिक दूरी पर भी वायरस हवा में मिला है. इस दावे की पुष्टि के लिए वैज्ञानिकों ने अलग-अलग अस्पतालों के 64 से ज्यादा सैंपल लिए थे.शोधकर्ताओं ने एयर सैंपलर के जरिए हवा से सैंपल इकट्ठे किए थे. फिर बाद में इन कणों का आरटीपीसीआर के जरिए टेस्ट किया गया.

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सीसीएमबी के निदेशक वैज्ञानिक डॉ. राकेश मिश्रा और इम्टेक के निदेशक डॉ संजीव खोसला ने बताया,  अध्ययन में पाया गया है कि बंद स्थानों में अधिक समय बिताना किस तरह जोखिम भरा हो सकता है, ऐसे में मास्क की अहमियत बढ़ जाती है. सीसीएमबी के वैज्ञानिक और निदेशक डॉ राकेश मिश्रा बताते हैं, 'लोगों ने अलग-अलग अस्पताल, कोविड वार्ड और होम क्वारंटीन वाले कोविड मरीज़ों के घरों से सैंपल लिए हैं, इस अध्ययन में ये पता चला है की बंद जगहों पर वायरस लम्बे समय तक हवा में रह सकता है. इसलिए अगर कोई ऐसी बंद जगह में है या गया है जहां वायरस हवा में हो सकता है तो मास्क की अहमियत बढ़ जाती है. कोविड मरीज़ों के होम क्वारंटीन के दौरान भी मास्क बेहद ज़रूरी है. हमारी स्टडी ये साफ़ करती है कि संक्रमित से और हवा में मौजूद वायरस से बचाने के लिए मास्क बेहद कारगर साबित हुआ है.' इम्टेक के निदेशक डॉ संजीव खोसला  के अनुसार, 'ये स्टडी बताती है कि कोविड और नॉन कोविड वार्ड को अलग अलग करना संक्रमण रोकने के लिए बेहद सही रणनीति रही बल्कि ये भी स्टडी बताती है कि वेंटिलेटेड रूम में रहना ज़्यादा सुरक्षित है. मास्क का इस्तेमाल संक्रमण रोकने के लिए बेहद अहम रोल प्ले कर रहा है.'' 

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स्टडी में ये भी कहा गया है कि जब तक कमरे में एसी के जरिए हवा का बहाव न हो, बगैर लक्षण वाले मरीजों के बैठने वाली जगह से वायरस नहीं फैलता. तमाम डॉक्टर शुरुआत से ही क्वारंटीन में एसी के इस्तेमाल को बंद करने पर ज़ोर देते आए हैं. हिंदुजा हॉस्पिटल, खारके डॉ. राजेश जरिया कहते हैं, 'आपके घर में अगर कोई कोविड मरीज़ हो तो उससे दूरी तो ज़रूरी है ही, घर की सारी खिड़कियाँ खुली हों, ताकि उसके मुंह, नाक से निकलने वाली 'ड्रॉप्‍स' दूसरे तक ना पहुंचें. इंसान अगर घर में खुद मास्क पहनकर रहता है तो संक्रमण फैलने के चांसेस बहुत कम होंगे.' केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ देशभर में 43.96% कोविड मरीज़ जहां अस्पतालों में हैं तो वहीं इनसे ज़्यादा 56.04% मरीज़ होम आइसोलेशन में हैं, ऐसे में नई स्टडी, घरों में क्वारंटीन मरीज़ों के लिए समझनी बेहद ज़रूरी है. 

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