Corona Vaccine: वैक्सीन को लेकर फैली अफवाहें, महाराष्ट्र के 27 गांव में फैला डर का माहौल

महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना महामारी की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) ने तबाही मचा रखी है. राज्य और केंद्र सरकार महाराष्ट्र में कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है. इस कड़ी में राज्य में टीकाकरण अभियान (Corona Vaccination) की गति को तेज कर दिया गया है.

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मुंबई में आरे जंगल के आदिवासियों में कोरोना वैक्सीन को लेकर फैला डर।
मुंबई:

महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना महामारी की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) ने तबाही मचा रखी है. राज्य और केंद्र सरकार महाराष्ट्र में कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है. इस कड़ी में राज्य में टीकाकरण अभियान (Corona Vaccination) की गति को तेज कर दिया गया है. इसके बावजूद भी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में वैक्सीन को लेकर फैली अफवाहें टीकाकरण अभियान में पलीता लगाने का काम कर रही हैं. हम बात कर रहे हैं मुंबई के आरे जंगलों की. यहां 27 गांवों में रहने वाले सैकड़ों आदिवासियों में से अधिकतर लोगों ने वैक्सीन नहीं ली है. कई लोगों में वैक्सीन को लेकर गलतफहमियां हैं तो कई शहर में जाकर इसे लेना ही नहीं चाहते.

वैक्सीन को लेकर फैली अफवाह ने डराया

मुंबई शहर के बीचों बीच मौजूद आरे जंगल के आदिवासी पाड़ा में रहने वाली 55 वर्षीय शेवंत खांडेकर ने अबतक वैक्सीन नहीं ली है. शेवंत अकेली नहीं हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली. आरे के जंगलों में मौजूद 27 आदिवासी पाड़ा में अधिकतर लोग वैक्सीन लेने से बचते दिख रहे हैं. आदिवासी शेवंत खांडेकर ने कहा, ''मुझे डर लगता है.. कुछ लोगों ने मुझे बताया कि वैक्सीन लेने के बाद कुछ समय तक ठीक लगता है, उसके बाद बुखार आना शुरू होता है और फिर अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और कभी लौटकर नहीं आता. उसकी मौत हो जाती है.''

लोगों को नहीं पता टीकाकरण का फायदा

आरे में ही खेती का काम करने वाले मोहन दलवी भी वैक्सीन नहीं लेना चाहते. उनके अनुसार जब उनके जंगलों में मामले ना के बराबर हैं, तो वैक्सीन क्यों लें. उन्होंने कहा, ''हमें इसे लेने की ज़रूरत नहीं है, हम बहुत अच्छे हैं. हमलोगों को कोई दिक्कत नहीं है. हम बहुत अच्छे है. इसकी कोई ज़रूरत नहीं है.'' आरे में रहने वाले प्रकाश भोईर बीएमसी कर्मचारी हैं और उन्होंने वैक्सीन के दोनों डोज ले ली है. उनका कहना है कि आरे में लोगों में टीके की जानकारी को लेकर अभाव है- कोई बताने वाला भी नहीं है.

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स्मार्टफोन न होने की वजह से ठिठके कदम

प्रकाश भोईर ने कहा, कुछ अफवाहें हैं और उसके बारे में सरकारी लोग यहां आकर लोगों को जागरूक करें. गांव-गांव में जाकर लोगों को वैक्सीन के फायदे के बारे में बताया जाए तो शायद बात बन सकती है. क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो आगे यहां तकलीफ बढ़ सकती है. आरे बचाओ आंदोलन से जुड़ी मनीषा ढिंडे के अनुसार लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के वजह से लोग अपने आप को रजिस्टर नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही टीका केंद्रों पर भीड़ की वजह से भी डर है कि वहां जाकर वो संक्रमित ना हो जाएं.

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