प्रदूषण के कारण कोरोना के मरीजों के स्वस्थ होने में लग रहा लंबा वक्त, मुंबई में हालत खराब

Covid air Pollution : प्रदूषण के कारण फेफड़ों और हृदय पर असर पड़ता है. प्रदूषण, अस्थमा, सीओपीडी का कारण बनता है तो ऐसे में जो मध्यम और गंभीर रोगों के मरीज कोविड से रिकवर देरी से हो रहे हैं.  इन मरीज़ों को दवाइयों की भी ज़रूरत ज़्यादा पड़ती है.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
Corona Recovery Rate : कोरोना के 97 फीसदी मरीज देश में हो चुके स्वस्थ
मुंबई:

विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण कारण कोरोना के मरीजों के स्वस्थ होने में लंबा वक्त लग रहा है. फ़ोर्टिस के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत छाजे ने कहा कि प्रदूषण के कारण लंग्स, हार्ट (फेफड़ों और हृदय) पर असर पड़ता है. प्रदूषण, अस्थमा, सीओपीडी का कारण बनता है तो ऐसे में जो मध्यम और गंभीर रोगों के मरीज कोविड से देरी से उबर रहे हैं.  

इन मरीज़ों को दवाइयों की भी ज़रूरत ज़्यादा पड़ती है. इनका इम्यूनिटी रिस्पांस भी सामान्य वातावरण में रहने वालों की तुलना में कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण कारण कोरोना के मरीजों के स्वस्थ होने में लंबा वक्त लग रहा है. फ़ोर्टिस के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत छाजे ने कहा कि प्रदूषण के कारण लंग्स, हार्ट (फेफड़ों और हृदय) पर असर पड़ता है. प्रदूषण, अस्थमा, सीओपीडी का कारण बनता है तो ऐसे में जो मध्यम और गंभीर रोगों के मरीज कोविड से रिकवर देरी से हो रहे हैं.  इन मरीज़ों को दवाइयों की भी ज़रूरत ज़्यादा पड़ती है. इनका इम्यूनिटी रिस्पांस भी सामान्य वातावरण में रहने वालों की तुलना में कम है. पुणे, नागपुर में बढ़ते कचरे के ख़िलाफ़ आवाज़ उठ रही है. अवैध तरीक़े से कचरा जलाने का भी असर हो रही है. यहां कई मीट्रिक टन कचरा पड़ा है.

पुणे और नागपुर में अवैध कचरा बना मुश्किलों का सबब
पुणे, नागपुर में बढ़ते कचरे के ख़िलाफ़ आवाज़ उठ रही है. अवैध तरीक़े से कचरा जलाने का भी असर हो रही है. यहां कई मीट्रिक टन कचरा पड़ा है.कचरा डिपो संघर्ष समिति रणजीत रासकर का कहना है कि पुणे सिटी में जितना कचरा पैदा हो रहा है वो यहां लाकर डम्प करना शुरू कर दिया है, ये पीछे जो आप शेड देख रहे हैं ये कम से कम एक लाख मीट्रिक टन कचरा यहां पड़ा है. इसके ख़िलाफ़ हमने एनजीटी कोर्ट में कंटेम्प्ट दाखिल किया है.पुणे नगर निगम जो साइंटिफिक लैंड्फ़िल साइट पर पूरा कचरा डाल रही है. पुणे सिटी में डेढ़ से दो लाख मीट्रिक टन कचरा रोड पर पड़ा हुआ है.'

Advertisement

दस दिन में काला पड़ा फेफड़ा
महाराष्ट्र में वायु प्रदूषण किस कदर भयावह है, इसका उदाहरण नवी मुंबई में देखने को मिला. नवी मुंबई में कृत्रिम फेफड़ा 10 दिनों में काला पड़ गया. विशेषज्ञों ने यहां दिखाया कि कृत्रिम फेफड़े ने 24 घंटे में रंग बदला और सफ़ेद से रंग गहराता हुआ दस दिनों में ये कृत्रिम फेफड़ा काला पड़ा.मुंबई से सटे नवी मुंबई में बीच सड़क लगे इस आर्टिफ़िशल लंग्स (कृत्रिम फेफड़े) के ज़रिए वातावरण संस्था ने प्रदूषण के स्तर को दिखाने की कोशिश की.

Advertisement

नवी मुंबई इलाका भी मार झेल रहा
वातावरण संस्था के संस्थापक भगवान केशभट ने कहा कि दस दिनों में ये फेफड़ा काला पड़ा है तो सोच सकते हैं की नवी मुंबई वाले प्रदूषण के किस ख़तरे से गुज़र रहे हैं. इस मुहिम मक़सद था कि प्रशासन जागे, ऐक्शन प्लान बनाए. ट्रांसपोर्ट, कन्स्ट्रक्शन, इंडस्ट्री ये दोनों प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार हैं तो हर क्षेत्र के पर काम करना पड़ेगा.नवी मुंबई में 201 तो मुंबई शहर में वायु गुणवत्ता 231 यानी ख़राब श्रेणी में है. स्मॉग के कारण मुंबई की ये इमारतें कैमरे पर भी साफ़ नहीं दिखती हैं. श्वांस रोग विशेषज्ञ कहते हैं कोविड से रिकवरी में कई मरीज़ों को प्रदूषण के कारण देरी हो रही है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Top 10 National News : UP By Election 2024 | Jharkhand Elections | देखें अन्य बड़ी खबरें