कोरोना महामारी : मुंबई में विभिन्‍न कारणों से 60 हजार बच्‍चे नहीं कर पा रहे ऑनलाइन स्‍टडी

एक छात्रा सबा खातून कहती है, '10 माह से अधिक समय से लॉकडाउन चल रहा है. उसका असर पढ़ाई पर पड़ा है.हम अभी सेल्फ स्टडी कर रहे हैं, लेकिन स्‍कूल जैसी पढ़ाई नहीं हो पाती. '

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मुंंबई:

Corona Pandemic: कोरोना महामारी की मार के बाद देश में सभी शिक्षण संस्‍थानों को बंद करना पड़ा था और ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) को शुरू किया गया लेकिन महानगर मुंबई की बात करें तो यहां हजारों बच्‍चे विभिन्‍न कारणों से ऑनलाइन स्‍टडी नहीं कर पा रहे हैं. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर मुंबई में यह हाल है, तो देश के दूसरे हिस्सों में हालात कैसे होंगे. बृहन्‍नमुंबई म्‍युनिसिपल कार्पोरेशन (बीएमसी) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मुंबई में करीब 60 हज़ार बच्चे ऐसे हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. स्‍कूल बंद हैं, ऐसे में मुंबई के मानखुर्द इलाकों के झुग्गियों में रहने वाले यह बच्चे किताबों से पढ़ाई करते हैं. ऑनलाइन स्‍टडी ये नहीं कर पा रहे. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के वजह से बच्चे किताबों से पढ़कर अपना पाठ्यक्रम खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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यह बच्‍चे परीक्षा कैसे देंगे, यह भी एक सवाल है. एक छात्रा सबा खातून कहती है, '10 माह से अधिक समय से लॉकडाउन चल रहा है. उसका असर पढ़ाई पर पड़ा है.हम अभी सेल्फ स्टडी कर रहे हैं, लेकिन स्‍कूल जैसी पढ़ाई नहीं हो पाती.' बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में करीब 6.2 लाख बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहे हैं, इनमें से 60,945 बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. इनमें से 37,213 बच्चों के पास स्मार्टफोन या कंप्यूटर की सुविधा नहीं है जबकि 20,367 बच्चों के पास इंटरनेट उपलब्ध नहीं है. लॉकडाउन के समय 37,292 बच्चों ने पलायन किया था, इन बच्‍चों में से 4286 से बीएमसी प्रशासन अबतक संपर्क नहीं कर पाया है.

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बीएमसी के शिक्षण विभाग के अधिकारी महेश पालकर बताते हैं कि जिन बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा नहीं है, उनके लिए भी कई तरह के व्यवस्थाएं प्रशासन की ओर से की जा रही है. उन्‍होंने कहा, 'जो बच्चे हमारे संपर्क में नहीं हैं उनके लिए हमने बालक मित्र, पालक मित्र और शिक्षक मित्र बनाए हुए हैं और शिक्षक भी उन्हे पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.कोविड के लिए जारी गाइडलाइन के आधार पर सुरक्षा का ख्याल रखते हुए उन्हें पढ़ाने की कोशिश जारी है.' देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अगर हज़ारों बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है तो यह समझा जा सकता है कि देश के अलग-अलग जगहों पर हालात और भी बुरे होंगे. ऐसे में ज़रूरत है कि प्रशासन की ओर से ऑनलाइन के साथ ही गरीब बच्चों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था भी की जानी चाहिए ताकि किसी की पढ़ाई अधूरी न रह जाए.

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