कोरोना जैसी घातक बीमारी से पूरा देश जंग लड़ रहा है. कोरोना को समझना इंसान के लिए तो मुनासिब है लेकिन जानवरों का क्या? कोरोना की इस दूसरी जानलेवा लहर में कई जानवरों ने अपने मालिकों को खो दिया. ऐसे जानवरों को पता ही नहीं कि उनके साथ आखिर हुआ क्या. उन्हें मिलने वाला प्यार और सारी सुविधाएं अचानक कहां चली गईं. पता भी होता तो ये जानवर अपना दर्द बयां नहीं कर सकते.. क्योंकि ये बेजुबान हैं. ऐसे ही बेसहारा जानवरों का दर्द समझा है नोएडा के ध्यान फाउंडेशन ने.
ध्यान फाउंडेशन इन दिनों बेसहारा जानवरों के लिए देवदूतों की तरह काम कर रहा है. ध्यान फाउंडेशन की ओर से कोरोना काल में अपने मालिकों को खो चुके जानवरों, जिनमें ज्यादातर पालतू कुत्तें हैं उनको एनिमल शेल्टर में पनाह दी जा रही है. इन जानवरों की देखभाल पहले की तरह तो नहीं हो पा रही, लेकिन उन्हें खाना और रहने के लिए छांव जरूर मिल रही है.
नोएडा में ध्यान फाउंडेशन की सदस्य पूनम ने बताया कि कोरोना से पहले जानवरों का जीना मुश्किल नहीं था. होटल और ढाबों का बचा हुआ खाना इनका आहार होता था. लेकिन अब कोरोना की पाबंदियों में जानवरों को भूखा रहना पड़ रहा है. ध्यान फाउंडेशन ऐसे जानवरों को खाना खिलाने की कोशिश करता है. वहीं जिन जानवरों के मालिक अब नहीं हैं, वैसे जानवरों को ध्यान फाउंडेशन के एनिमल शेल्टर में लाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है.
ध्यान फाउंडेशन के सदस्य योगेंद्र ने कहा कि कोरोना काल में इंसान तो अपनी भूख किसी तरह मिटा ले रहा है, लेकिन सड़क पर घूमते बेजुबान और बेसहारा जानवरों का बुरा हाल है. जानवर भोजन की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. गाय और कुत्तों को भोजन नसीब नहीं हो रहा है. ध्यान फाउंडेशन इन जानवरों की देखभाल करता है. योगेंद्र ने बताया कि एक व्यक्ति जिसने 11 कुत्तों को पाल रखा था, उसकी कोरोना से मौत हो गई. जिसके बाद इन सभी 11 कुत्तों को एनिमल शेल्टर में लाया गया. उन्होंने बताया कि बीते डेढ़-दो महीने में उनके पास 25 से अधिक कॉल आ चुकी है बेसहारा जानवरों को सहारा देने के लिए. उन्होंने कहा कि ध्यान फाउंडेशन बेसहारा कुत्तों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य जानवरों को भी सहारा देने का काम कर रहा है.
कोविड के कारण बेसहारा हो गए कई पालतू जानवर