फ़िल्म 'मनाचे श्लोक' शीर्षक पर हंगामा, पुणे में स्क्रीनिंग करवा दी बंद

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए फ़िल्म को रिलीज़ करने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने अपने फैसले में स्वयं समर्थ रामदास के 'मनाचे श्लोक' की कुछ पंक्तियों का संदर्भ दिया.

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  • पुणे के कोथरूड में मराठी फिल्म मनाचे श्लोक के प्रीमियर शो को हिंदुत्ववादी संगठनों ने बंद करा दिया.
  • विरोधी संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म का नाम समर्थ रामदास की पवित्र रचना के अपमान में रखा गया है.
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म के शीर्षक विवाद को खारिज करते हुए रिलीज़ की अनुमति दे दी है.
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पुणे के कोथरूड में, मराठी फ़िल्म 'मनाचे श्लोक' के प्रीमियर शो को हिंदुत्ववादी संगठनों ने बंद करा दिया. संगठनों ने फ़िल्म के नाम पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि निर्माताओं ने 'लिव-इन रिलेशनशिप' जैसे विषय पर बनी फ़िल्म को 'मनाचे श्लोक' नाम देकर समर्थ रामदास का अपमान किया है. 

मराठी संत कवि समर्थ रामदास स्वामी ने 'दासबोध' और 'मनाचे श्लोक' नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे थे. 'मनाचे श्लोक' एक आध्यात्मिक रचना है, जिसमें उन्होंने मन को नियंत्रित करने और धार्मिक आचरण के उपदेश दिए गए हैं.विरोध करने वाले संगठनों का आरोप है कि फ़िल्म की कहानी , जो 'लिव-इन रिलेशनशिप' जैसे आधुनिक और विवादास्पद विषय पर आधारित है, उस आध्यात्मिक और पवित्र नाम 'मनाचे श्लोक' के बिल्कुल विपरीत है.

क्या है आरोप

आरोप है कि फ़िल्म के विषय को देखते हुए, फ़िल्म के शीर्षक के लिए एक पवित्र धार्मिक नाम का उपयोग करना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है और समर्थ रामदास स्वामी के उपदेशों का उपयोग एक ऐसे विषय के लिए किया गया जो उनके आदर्शों और शिक्षाओं के विपरीत माना जाता है, जिससे महान संत का अपमान हुआ है.

बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 'मनाचे श्लोक' फ़िल्म के नाम को लेकर चल रहे विवाद पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, फ़िल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ कर दिया है. कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों ने 'लिव-इन रिलेशनशिप' जैसे विषय पर बनी इस फ़िल्म के शीर्षक को महान संत समर्थ रामदास स्वामी की पवित्र रचना 'मनाचे श्लोक' के नाम पर रखने पर आपत्ति जताई थी. उनका तर्क था कि यह धार्मिक नाम का अपमान है और इससे लोगों की भावनाएँ आहत होती हैं.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए फ़िल्म को रिलीज़ करने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने अपने फैसले में स्वयं समर्थ रामदास के 'मनाचे श्लोक' की कुछ पंक्तियों का संदर्भ दिया, जिसमें उन्होंने मन को नियंत्रित करने और व्यापक सामाजिक जागरूकता का महत्व बताया है.

न्यायालय ने कहा कि फ़िल्म के शीर्षक पर रोक लगाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होगा. कोर्ट ने माना कि फ़िल्म का शीर्षक एक रचनात्मक चुनाव है और इसे आपत्तिजनक नहीं माना जा सकता, खासकर जब सेंसर बोर्ड CBFC पहले ही इसे पास कर चुका है. इस फैसले के बाद, पुणे सहित महाराष्ट्र में फ़िल्म 'मनाचे श्लोक' की रिलीज़ पर लगी अनौपचारिक रोक हट गई है.

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हाई कोर्ट ने फ़िल्म निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे फ़िल्म की शुरुआत में एक स्पष्ट सूचना प्रकाशित करें. इस सूचना में यह बताना अनिवार्य होगा कि फ़िल्म के शीर्षक का, समर्थ रामदास स्वामी द्वारा रचित 'मनाचे श्लोक' से कोई लेना-देना नहीं है.
 

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