पश्चिम बंगाल के मॉडल प्रश्न पत्र में कश्मीर पर विवाद, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बोले-"होगी कार्रवाई"

तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, "तृणमूल एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, जो किसी विशेष समुदाय को खुश करने में विश्वास नहीं करती है. सरकार ने हमारी पार्टी के खिलाफ निराधार टिप्पणी की है."

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पश्चिम बंगाल के एक स्कूल के मॉडल प्रश्न पत्र की एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया है.
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्यामंदिर स्कूल के कक्षा 10 के मॉडल प्रश्न पत्र की एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया है. इस तस्वीर में स्टूडेंट्स को मानचित्र पर "आजाद कश्मीर" चिह्नित करने के लिए कहा गया है. आपको बता दें कि पाकिस्तान और आतंकवादी संगठन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को "आजाद कश्मीर" कहते हैं.

मानसिकता राष्ट्र-विरोधी : केंद्रीय मंत्री

विभिन्न स्कूलों और शिक्षकों के संघ, साथ ही पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, बोर्ड परीक्षार्थियों की तैयारी में सहायता के लिए हर साल मॉडल प्रश्न पत्र जारी करते हैं. ये एक पुस्तक प्रारूप में छपे होते हैं और बंगाल बोर्ड के छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी के तहत इन्हें हल करते हैं. मामले की राज्य स्तरीय जांच की मांग करते हुए केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने NDTV से कहा कि शिक्षा मंत्रालय को टेस्ट पेपर बेचना बंद करना चाहिए और मामले की जांच करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "उन्हें पता लगाना चाहिए कि पेपर किसने सेट किया, किसने इसे प्रकाशित किया और आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए... उनकी मानसिकता राष्ट्र-विरोधी है, और पेपर सेट करने वाला आतंकवादी गतिविधियों को प्रेरित करना चाहता है."

वापस लेना संभव नहीं : रामानुज गांगुली

पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रामानुज गांगुली ने कहा है कि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हम इसे ठीक करने और स्पष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं और देख रहे हैं कि वास्तव में क्या हुआ? जिन लोगों ने प्रश्न तैयार किया है और प्रश्न संपादित किया है, हम उनसे पूछताछ करेंगे और फिर मॉडल अधिनियम और इसकी धाराओं के आधार पर हम निर्णय लेंगे. हम निर्णय को हमारी वेबसाइट के माध्यम से प्रसारित करेंगे." रामानुज गांगुली ने कहा, "हमने पाया है कि मालदा में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्यामंदिर स्कूल नामक एक स्कूल ने इस प्रश्न को सेट किया है. मैंने यह सुना है, लेकिन यह पुष्टि नहीं है कि इतिहास के शिक्षक ने प्रश्नपत्र नहीं बनाया था. शारीरिक शिक्षा शिक्षक ने इस प्रश्नपत्र को बनाया था. हालांकि, उनकी व्यक्तिगत शैक्षणिक योग्यता भी इतिहास में है. मुझे नहीं पता कि हेडमास्टर ने इसके बारे में क्या किया है और ये ऐसे मामले हैं, जिनकी जांच की जानी चाहिए." यह टेस्ट पेपर पूरे राज्य में पहले ही वितरित किया जा चुका है. बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि इसे वापस लेना संभव नहीं है.

हम इस तरह के कृत्यों का समर्थन नहीं करते

सुभाष सरकार ने कहा कि अगर यह घटना सच है, तो इसका श्रेय "तृणमूल सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति को दिया जा सकता है, जिसने कुछ लोगों को टेस्ट पेपर में देश-विरोधी ओवरटोन वाले प्रश्न डालने के लिए प्रेरित किया है." तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने बाद में पीटीआई-भाषा से कहा कि उनकी पार्टी किसी भी गलत चीज का समर्थन नहीं करती है. उन्होंने कहा, "अगर किसी ने ऐसा प्रश्नपत्र बनाया है तो उसने गलत काम किया है. हम इस तरह के कृत्यों का समर्थन नहीं करते हैं." घोष ने कहा, "तृणमूल एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, जो किसी विशेष समुदाय को खुश करने में विश्वास नहीं करती है. सरकार ने हमारी पार्टी के खिलाफ निराधार टिप्पणी की है."

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