ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पहले शशि थरूर ने क्यों धारण किया 'मौन व्रत', क्या होगा जब तोड़ेंगे व्रत

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में होने वाली चर्चा में कांग्रेस की ओर से बोलने वालों में शशि थरूर का नाम नहीं है. इसके बाद उन्होंने मौन व्रत धारण कर लिया है. क्या है उनके मौन व्रत की राजनीति.

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नई दिल्ली:

लोकसभा में आज 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा होनी है. चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे. विपक्ष के सदस्य पिछले काफी समय से 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे. लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर'पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी, गौरव गोगोई , प्रियंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा, परिणीति शिंदे, शफी परमबिल, मणिकम टैगोर और राजा बराड़ पक्ष रखेंगे. कांग्रेस के शशि थरूर इस चर्चा में पार्टी की ओर से हिस्सा नहीं लेंगे. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्होंने स्वेच्छा से चर्चा में भाग लेने से मना कर दिया.

शशी थरूर के कांग्रेस से रिश्ते

कांग्रेस के वक्ताओं की सूची में नाम न होने के सवाल पर थरूर ने संसद परिसर में केवल इतना कहा,''मौन व्रत...मौन व्रत...'' इसके बाद से चर्चाओं का बाजार गर्म है कि थरूर ने खुद ही चर्चा में हिस्सा लेने से मना किया या उन्हें बोलने का मौका ही नहीं दिया गया. दरअसल थरूर को लेकर राजनीतिक कयासबाजी उस समय से लगाई जा रही है, जब वो 'ऑपरेशन सिंदूर'पर भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश की यात्रा पर गए थे. दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजे गए सात प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व किया था. उस समय ऐसे खबरें आईं थीं कि कांग्रेस नेतृत्व उनके इस कदम से खुश नहीं है. 

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कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ने उससे इन प्रतिनिधिमंडलों में जाने के लिए चार नाम मांगे थे, इस पर चार नाम सरकार को दिए गए थे. लेकिन सरकार ने उन नामों को दरकिनार करते हुए शशि थरूर और सलमान खुर्शीद आदि को प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर लिया. कांग्रेस इससे और नाराज हो गई.

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स्वदेश वापसी के बाद भी थरूर और कांग्रेस के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हुए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने थरूर का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोगों के लिए मोदी पहले हैं और देश बाद में. खरगे का यह बयान थरूर के सरकार की ओर झुकाव को लेकर था. 

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कैसे बोल सकते हैं शशि थरूर

राजनीतिक हलके में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि शशि थरूर देर सबेर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. हालांकि इसको लेकर न तो बीजेपी और न ही शशि थरूर ने अब तक कुछ कहा है. लेकिन संभावना जताई जा रही है कि केरल विधानसभा चुनाव के पहले थरूर बीजेपी का दामन थाम लें. इसलिए जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की बात आई तो वक्ताओं में थरूर का नाम होने या न होने को लेकर अटकलें लगाई जाने लगीं. लेकिन अब कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि उसकी तरफ से कौन चर्चा में हिस्सा लेगा. इन वक्ताओं में थरूर का नाम नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है कि थरूर के बोलने की संभावना खत्म हो गई है. अभी इस बात की संभावना है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला थरूर को बोलने का मौका दें. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगर ऐसा होता है तो थरूर एक बार फिर 'ऑपरेशन सिंदूर'पर सरकार का पक्ष रखें. यह कांग्रेस नेतृत्व का नाराजगी बढ़ाने के लिए काफी होगा. 

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