- खरगे का तंज- थरूर की अंग्रेजी अच्छी इसलिए बनाया कार्यसमिति का सदस्य
- कांग्रेस खरगे पर कोई कार्रवाई नहीं करने जा रही - सूत्र
- कांग्रेस जानती है कि कार्रवाई से खरगे पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
शशि थरूर का क्या होगा? यह सवाल कांग्रेस में कई लोग पूछ रहे हैं. अभी तक कांग्रेस के कुछ प्रवक्ता थरूर पर सवाल उठा रहे थे. कोई उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता तो कोई विदेश मंत्री बनाने की बात कह रहा था. तो कोई उन्हें अपने तथ्य ठीक करने की सलाह दे रहा था. मगर, बात अब कांग्रेस अध्यक्ष तक आ चुकी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जब थरूर के बारे में बार-बार सवाल पूछा गया तो उन्हें थरूर पर अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी. खरगे ने कहा कि शशि थरूर की इंग्लिश बहुत अच्छी है , पढ़ने में दिक्कत होती है . इसलिए उनको कार्यसमिति का सदस्य बनाया है.
खरगे ने थरूर पर क्या कहा
जब खरगे से पूछा गया कि थरूर सरकार की तारीफ कर रहे हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष का जवाब था, "हमने तो पहले ही कहा कि देश का मामला है, हम सेना और सरकार के साथ हैं." जब खरगे से पूछा गया कि थरूर सरकार की तारीफ में लिख रहे हैं तो जबाब मिला कि जिसको जो लिखना आता है, वो लिखेगा. हम उसमें अपना दिमाग नहीं लगाना चाहते... हम क्यों डरेंगे, वो क्या कह रहे हैं..वो अपनी इच्छा के अनुसार बोल रहे हैं. मेरे लिए देश का हित सबसे ऊपर है और हम उसी के अनुसार काम कर रहे हैं.
थरूर ने खरगे के इस जबाब के बाद सोशल मीडिया पर लिखा कि उड़ने के लिए किसी की अनुमति नहीं लेनी होती, पंख आपके अपने हैं और आसमान किसी एक का नहीं (थरूर का Xपोस्ट लगा दें). यानि कांग्रेस और थरूर के बीच तलवारें खिंच चुकी है.
अब सवाल है कि थरूर का क्या होगा? कांग्रेस सूत्रों की मानें तो थरूर पर कांग्रेस कोई कारवाई नहीं करने जा रही है, क्योंकि कांग्रेस को मालूम है कि थरूर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उनकी लोकसभा की सदस्यता बरकरार रहेगी और पार्टी के अनुशासन का दबाव भी नहीं रहेगा और तब वो खुलकर पार्टी के खिलाफ बोल भी सकते हैं. मंगलवार को केरल के नीलांबुर विधानसभा के उप चुनाव के नतीजों से भी कांग्रेस उत्साहित है, क्योंकि यह सीट कांग्रेस ने सीपीएम से छीनी है और यहां थरूर ने प्रचार भी नहीं किया था यानि थरूर के बिना मदद के कांग्रेस जीती है. कांग्रेस को यह भी पता है कि थरूर का डंका देश विदेश में भले ही बजता हो, मगर पिछले लोकसभा चुनाव में राजीव चंद्रशेखर ने उन्हें लगभग हरा ही दिया था. थरूर महज 17 हजार वोटों से ही जीत पाए थे.
केसी वेणुगोपाल वाला एंगल
कांग्रेस को मालुम है कि थरूर की दिक्कत केसी वेणुगोपाल से है, जो राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं. पार्टी के संगठन महासचिव हैं और तो और जब संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष से थरूर के बारे में सवाल किए जा रहे थे तो वेणुगोपाल उनकी बगल में ही बैठे थे. कांग्रेस को मालूम है कि सरकार आने वाले दिनों में थरूर को और भी विदेशी मामलों के काम दे सकती है, जो देश हित में और गैर राजनीतिक हो. कांग्रेस उसी दिन का इंतजार कर रही है. फिलहाल, नीलांबुर के उपचुनाव में जीत के बाद उत्साहित कांग्रेस का अगला लक्ष्य इस साल होने वाले स्थानीय निकाए के चुनाव हैं और अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव.