- राहुल गांधी ने कोलंबिया में बाइक और कार के वजन पर बात करते हुए जो कारण बताए, उसका बीजेपी ने मजाक बनाया है.
- राहुल ने बताया कि कार का इंजन दुर्घटना में अंदर आकर जानलेवा हो सकता है, वहीं बाइक का इंजन अलग हो जाता है.
- बीजेपी के अमित मालवीय ने राहुल गांधी की टिप्पणी को बकवास करार दिया और कहा कि उनकी बात समझना मुश्किल है.
एक मोटरसाइकिल का वज़न 100 किलो क्यों होता है, जबकि एक कार का वज़न 3,000 किलो होता है? कोलंबिया की यात्रा पर गए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लैटिन अमेरिकी देश के एक खचाखच भरे सेमिनार हॉल में यह सवाल पूछा. उसके बाद उन्होंने इस सवाल का जो उत्तर दिया, उसने बीजेपी को हैरान कर दिया. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने इसे "बकवास" करार दिया.
क्या कहा राहुल गांधी ने
ईआईए विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत करते हुए, गांधी ने पूछा कि एक कार आमतौर पर बाइक से भारी क्यों होती है? उसे 3,000 किलो मेटल की आवश्यकता क्यों होती है, जबकि एक बाइक तुलनात्मक रूप से हल्की होती है. कांग्रेस सांसद ने पूछा, "एक यात्री को ले जाने के लिए, आपको कार में 3,000 किलो मेटल की आवश्यकता होती है, वहीं 100 किलो की बाइक 150 किलो के दो लोगों को आराम से ले जाती है, ऐसा क्यों?"
फिर राहुल गांधी ने दावा किया कि यह सवाल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में बदलाव के लिए जरूरी है. अपनी बात समझाते हुए उन्होंने कहा कि इसका जवाब इंजन में है. उन्होंने बताया कि कार का इंजन टक्कर लगने पर आपकी जान ले लेता है और मोटरसाइकिल हल्की होती है तो दुर्घटना के दौरान उसका इंजन उड़ जाता है.
गांधी ने कहा, "मोटरसाइकिल में, जब आप टक्कर खाते हैं, तो इंजन आपसे अलग रहता है. इसलिए, इंजन आपको चोट नहीं पहुंचाता. कार में, जब आप टक्कर खाते हैं, तो इंजन कार के अंदर आ जाता है. इसलिए, कार को इस तरह से डिजायन किया जाता है कि इंजन आपकी जान न ले सके."
राहुल गांधी ने फिर सुझाव दिया
राहुल गांधी ने सुझाव दिया कि कार की इस समस्या का समाधान इलेक्ट्रिक मोबिलिटी है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक मोटर उस सेंट्रलाइज्ड एनर्जी सिस्टम को तोड़ देती है, और आगे कहा, "इलेक्ट्रिक मोटर आपको इधर-उधर, उधर, उधर मोटर लगाने की अनुमति देती है. इसलिए, इलेक्ट्रिक मोटर शक्ति का डिसेंट्रलाइजेशन है. यही वास्तव में इसका इफेक्ट है."
राहुल गांधी के भाषण का VIDEO देखें
बीजेपी के मीडिया प्रकोष्ठ प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, "मैंने इतनी बकवास एक साथ नहीं सुनी. अगर कोई यह समझ सके कि राहुल गांधी यहां क्या कहना चाह रहे हैं, तो मुझे खुशी होगी, लेकिन अगर आप भी मेरी तरह ही हैरान हैं, तो निश्चिंत रहें, आप अकेले नहीं हैं."
ऑटोमोबाइल पर टिप्पणी या व्यंग्य?
सही हो या गलत, गांधी की टिप्पणी एक साधारण ऑटोमोबाइल समस्या लगती है, लेकिन इसे एक सूक्ष्म राजनीतिक टिप्पणी के रूप में भी समझा जा सकता है. गांधी ने फरवरी में भी इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने राजनीतिक शक्ति के डिसेंट्रलाइजेशन की आवश्यकता पर बल दिया था.
उन्होंने कहा था, "ट्रैडिशनल इंजन सेंट्रलाइज्ड एनर्जी सिस्टम होते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों में, शक्ति डिसेंट्रलाइज्ड होती है - बैटरी और मोटर पूरे डिज़ाइन को नया रूप देते हैं." उन्होंने दावा किया था कि दुनिया एक नई ऊर्जा प्रणाली की ओर बढ़ रही है, जहां इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी सबसे महत्वपूर्ण तकनीकें होंगी. नागालैंड के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था कि सत्ता का डिसेंट्रलाइजेशन अर्थव्यवस्था से लेकर राजनीति तक, सब कुछ बदल देगा.