इमरजेंसी के 45 साल पूरे होने पर कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने किया ट्वीट- 'यह याद दिलाता है कि लोकतंत्र...'

कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने इमरजेंसी के 45 साल पूरे होने पर ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि इमरजेंसी याद दिलाती है कि लोकतंत्र की जब भी परीक्षा होती है, वो पूरी ताकत से लड़ता है.

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25 जून 1975 को लगाई गई थी इमरजेंसी, आज 45 साल पूरे. (मिलिंद देवड़ा की फाइल फोटो)
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आज इमरजेंसी के 45 साल पूरे
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने किया ट्वीट
कहा- परीक्षा में मजबूती से लड़ता है लोकतंत्र
नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने इमरजेंसी के 45 साल पूरे होने पर ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि इमरजेंसी याद दिलाती है कि लोकतंत्र की जब भी परीक्षा होती है, वो पूरी ताकत से लड़ता है. 25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी की तत्कालीन सरकार ने देश में इमरजेंसी लागू कर दिया था. उनके इस फैसले को आजाद भारत का सबसे विवादस्पद फैसला माना जाता है. मिलिंद देवड़ा ने इस मौके पर एक ट्वीट किया.

अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'इमरजेंसी हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र की जब-जब परीक्षा ली जाती है, वो पूरी ताकत से लड़ता है. यह राजनीतिक पार्टियों पर भी लागू होता है. लोकतांत्रिक संगठन बेहतर तरीके से खुद को ढालते हैं और चुनौतियों से पार पाते हैं. लोकतंत्र लगातार प्रगति करता रहा है, इसके लिए समर्पण, बलिदान और ईमानदार आत्मनिरीक्षण की जरूरत होती है.'
 

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बता दें कि इमरजेंसी की 'बरसी' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया. पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था. उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा.'

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वहीं अमित शाह ने कांग्रेस पर हमले करते हुए कई ट्वीट किए. शाह ने अपने ट्वीट में लिखा, 'इस दिन, 45 साल पहले सत्ता की खातिर एक परिवार के लालच ने आपातकाल लागू कर दिया. रातों-रात देश को जेल में तब्‍दील कर दिया गया गया. प्रेस, अदालतें, भाषण ... सब खत्म हो गए. गरीबों और दलितों पर अत्याचार किए गए. लाखों लोगों के प्रयासों के कारण, आपातकाल हटा लिया गया था. भारत में लोकतंत्र बहाल हो गया था लेकिन यह कांग्रेस में गायब रहा. परिवार के हित, पार्टी और राष्ट्रीय हितों पर हावी थे. खेद है कि कांग्रेस में अभी भी यह स्थिति मौजूद है.'

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बता दें कि 25 जून, 1975 को ही देश में आपातकाल लागू किया था, इसके तहत सरकार का विरोध करने वाले तमाम नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था और सख्‍त कानून लागू करते हुए आम लोगों के अधिकार का सीमित किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी.  इमरजेंसी को स्‍वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे विवादास्‍पद और गैर लोकत्रांतिक फैसला माना जाता है. इंदिरा गांधी को इसकी कीमत बाद में लोकसभा चुनाव में मिली हार के साथ चुकानी पड़ी थी.

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