कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने पंजाब में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में पाटी के सभी पक्षों से सारे मतभेद भुलाकर एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत बताई है. NDTV से बात करते हुए तिवारी ने पंजाब में पार्टी की कांग्रेस इकाई में कलह के मुद्दे पर भी विचार जताए, हालांकि वे पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के जुड़े मसले को लेकर सीधे तौर पर बोलने से बचते रहे. तिवारी ने कहा, 'मुझे कांग्रेस में चालीस साल हो गए. मेरा मानना है कि कांग्रेस को कोई और नहीं हराता, कांग्रेस खुद को हराती है.' बातचीत में पंजाब के कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सीधे तौर पर राज्य के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन किया.
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उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस में हाल बिल्कुल ठीक है, राज्यमें बिजली की सस्या है, पावर प्लांट्स में दिक्कत आई है जिसके कारण लोगों को असुविधा हो रही है लेकिन उम्मीद है कि बिजली की समस्या सुधर जाएगी.तिवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने हमारे साथ अच्छा सलूक नहीं किया, हमारा ग्रामीण विकास फंड बंद कर दिया. उन्होंने कहा कि किसानों ने इस समय बड़ा आंदोलन छेड़ा है, वे सड़कों पर बैठे हैं. वे अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन सरकार (केंद्र) के कानों पर जू नहीं रेंग रही. बातचीत के दौरान मनीष तिवारी ने माना कि जमीन पर कुछ समस्याएं जरूर है जिनसे निपटने की कोशिश हो रही है. आपसी मतभेद को सुलझाने के लिए तीन सदस्यों की समिति बनाई गई है. समिति ने सब लोगों की राय जानी है. राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'कांग्रेसियों को कमर कसनी होगी. धर्मनिपरेक्षता को बनाए रखना है.' क्या असंतुष्ट सुर अलाप रहे नवजोत सिद्धू को कोई सलाह देना चाहेंगे, इस सवाल पर तिवारी ने कहा, 'मैं बिन मांगी सलाह नहीं देता जो सलाह मांगी नहीं जाए उसका कोई महत्व नहीं.' उन्होंने कहा कि यह आपस में संगठित होने की जरूरत है. यह व्यक्ति विशेष का सवाल नहीं है, सवाल पंजाब का है. उन्होंने कहा कि आपस में लड़ने का समय नहीं है, हमें धर्मनिरपेक्ष ताकतों को इकट्ठा करना है. कांग्रेस को कोई और नहीं हरा सकता, कांग्रेस अपने को खुद हराती है.आपस में झगड़ा सही नहीं, यही सलाह है.
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पंजाब के कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सीधे तौर पर राज्य के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वर्ष 1966 में पंजाब के राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से 2017 तक राज्य के विधानसभा चुनाव में कोई पार्टी 117 में से 77 सीट हासिल नहीं कर पाई है. कांग्रेस ने तीन विधानसभा उपचुनावों में जीत हासिल की है. पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 8 में कांग्रेस जीती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने स्थानीय निकाय चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. यह सब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में हुआ है.