चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) कांग्रेस में शामिल होते हैं या नहीं, यह जल्द ही सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के साथ उनकी तीसरी मुलाकात के बाद पता चलेगा. यह जानकारी सूत्रों ने गुरुवार को दी है. सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर कांग्रेस अध्यक्ष के साथ आमने-सामने बैठक करेंगे. सोनिया गांधी ने आगामी राज्य चुनावों के साथ-साथ 2024 के राष्ट्रीय चुनाव के लिए पार्टी के पुनरुद्धार और भविष्य की चुनावी रणनीति पर प्रशांत किशोर की प्रजेंटेशन देखने के लिए कांग्रेस नेताओं के एक समूह को गठन किया है. राहुल गांधी इस पैनल का हिस्सा नहीं हैं, हालांकि, उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा हैं.
पिछले हफ्ते प्रशांत किशोर ने गांधी परिवार से मुलाकात की और पहली बार प्रजेंटेशन दी. प्रजेंटेशन के कुछ हिस्सों को पार्टी के दो मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और भूपेश बघेल सहित कई कांग्रेस नेताओं को दिखाया गया. बुधवार को प्रशांत किशोर, सोनिया गांधी और पैनल के सदस्यों के बीच एक बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथित तौर पर रणनीतिकार से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर सवाल पूछे.
रणनीतिकार के करीबी सूत्रों के अनुसार, राजनीति में उनके छोटे कार्यकाल का जिक्र करते हुए गहलोत ने उनसे पूछा कि वे पार्टी में कब तक रहेंगे. इस पर प्रशांत किशोर ने जवाब दिया कि 'यह आप पर निर्भर है कि आप मेरी कितनी सुनते हैं.' सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस (Congress) में शामिल होने का फैसला कोई पैनल नहीं, बल्कि सोनिया गांधी की ओर से किया जाएगा.
एक कांग्रेस नेता ने कहा, 'अंतिम निर्णय सोनिया गांधी पर छोड़ दिया गया है. वह पहले ही इस फैसले पर सलाह ले रही हैं. प्रशांत किशोर की भूमिका को लेकर वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ ही अन्य नेताओं से भी सलाह लेंगी. इसके बाद फैसला किया जाएगा कि क्या वह पार्टी में शामिल होंगे या 2024 में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की चुनावी रणनीति का समर्थन करेंगे.'
प्रशांत किशोर इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे लोगों के लिए काम कर चुके हैं. प्रशांत किशोर के प्लान का फोकस उन राज्यों पर केंद्रित है जहां इस साल के अंत में और अगले साल चुनाव होने हैं. इनमें हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. गांधी परिवार और प्रशांत किशोर के बीच बातचीत पिछले साल उनकी रणनीतियों के पश्चिम बंगाल में कामयाब होने के तुरंत बाद शुरू हो गई थी.