IFS ऑफिसर से विदेश मंत्री बनने तक ऐसा था कांग्रस नेता नटवर सिंह का पॉलिटिकल सफर, पढ़ें उनसे जुड़ी 10 बड़ी बातें

कांग्रेस नेता और भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार रात को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. उनके परिवार के सूत्रों ने यह जानकारी दी है. वह 93 वर्ष के थे. नटवर सिंह के परिवार ने बताया कि उन्होंने दिल्ली के पास स्थिति गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांसे ली थीं. वह पिछले कुछ हफ्तों से उस अस्पताल में भर्ती थे. नटवर सिंह ने अपनी पॉलिटिकल जर्नी शुरू करने से पहले भारत के विदेश अधिकारी के रूम में काम किया था. इसके बाद 1985 में वह कांग्रेस में शामिल हुए थे और 1986 में वह मंत्री भी चुने गए थे. इतना ही नहीं नटरव सिंह को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.

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नई दिल्ली:
  1. नटवर सिंह का जन्म राजस्थान के भरतपुर में हिंदू जाद परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ग्वालियर के स्किंदा स्कूल से की थी और इसके बाद उन्होंने अजमेर के mayo college से आगे की पढ़ाई की थी. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी स्नातक की डिग्री ली थी. इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में पढाी खी और चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में एक अवधि के लिए विजिटिंग स्कॉलर रहे.
  2. नटवर सिंह 1953 में भारतीय विदेश अधिकारी के तौर पर काम करना शुरू किया था और उन्होंने अपनी जिंदगी के 31 साल भारतीय विदेश सेवा को दिए थे. इस दौरान उन्होंने न्यूयोर्क में और चीन समेत कई देशों में काम किया है. इतना ही नहीं उन्होंने 1963 और 1966 के बीच कई संयुक्त राष्ट्र समितियों में भी काम किया है. 
  3. उन्होंने 1971 से 1973 तक पोलैंड में भारत के राजदूत, 1973 से 1977 तक यू.के. में भारत के उप उच्चायुक्त और 1980 से 1982 तक पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में काम किया है. वह 1975 में किंग्स्टन, जमैका में राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी रहे थे. 
  4. उन्हें 1983 में नई दिल्ली में आयोजित सातवें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन का महासचिव नियुक्त किया गया और उसी वर्ष नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (CHOGM) का मुख्य समन्वयक नियुक्त किया गया था. उन्होंने मार्च 1982 से नवंबर 1984 तक विदेश मंत्रालय में सचिव के रूप में काम किया था. उन्हें 1984 में भारत सरकार द्वारा भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
  5. 1984 में आईएफएस से रिजाइन करने के बाद उन्होंने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत की थी. नटवर सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे और राजस्थान के भरतपुर निर्वाचन क्षेत्र से 8वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे. 1985 में, उन्हें राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई और उन्हें इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि विभाग आवंटित किए गए. 1986 में, वे विदेश मामलों के राज्य मंत्री बने.
  6. वह 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था.
  7. 1991 के चुनावों के बाद कांग्रेस पार्टी सत्ता में लौटी थी और राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने थे. हालांकि, पीवी नरसिम्हा के साथ मतभेद होने के बाद उन्होंने एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह के साथ मिलकर पार्टी छोड़ दी थी और अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस नाम से नई राजनीतिक पार्टी बना ली थी. 
  8. इसके बाद 1998 में सोनिया गांधी ने पार्टी का जिम्मा संभाल लिया था और फिर नटवर सिंह समेत एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह वापस पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके बाद नटवर सिंह को 1998 के आम चुनावों में टिकट देकर पुरस्कृत किया गया और नौ साल के अंतराल के बाद वह एक बार फिर संसद बनें, जब वे भरतपुर से 12वीं लोकसभा (1998-99) के लिए चुने गए.
  9. 2002 में वह राजस्थान से राज्यसभा के लिए (अप्रत्यक्ष रूप से) चुने गए थे. इसके बाद 2004 में कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापस आई और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नटवर सिंह को विदेश मंत्री नियुक्त किया था. 
  10. 2014 में, सिंह की आत्मकथा, वन लाइफ इज़ नॉट इनफ, रिलीज़ हुई थी.  यह किताब उनके राजनीतिक करियर का बेबाक विवरण है, जो दिल्ली के राजनीतिक हलकों के अंदरूनी दृश्य प्रदान करती है. यह किताब इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान कई संवेदनशील घटनाक्रमों का खुलासा करती है.
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