इंसानों को लेकर उड़ने वाला ड्रोन के बाद एक और ड्रोन चर्चा में है. 'कॉनडोर' नाम के इस ड्रोन को UCAL Technologies ने बनाया है. करीब 70 किलोमीटर रफ्तार वाले इस ड्रोन का वजन 42 किलो ग्राम है. यह 5 से 16 किलो के किसी भी समान को लेकर 15 से 30 मिनट तक उड़ सकता है.
कॉनडोर का 80 फीसदी हिस्सा देश में ही डिजाइन और डेवलप किया गया है. इसका इस्तेमाल खेत में कीटनाशक के छिड़काव में किया जा सकता है. आपदा राहत, कानून व्यवस्था, दवाइयों के वितरण और सर्विलांस में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
‘फ्लाइंग टैक्सी' की दुबई में हुई टेस्टिंग
पिछले साल अक्टूबर में जानी मानी चीनी टेक और इलेक्ट्रिक वीकल कंपनी Xpeng ने अपनी ‘फ्लाइंग टैक्सी' को दुबई में टेस्ट किया था. इस दौरान कंपनी की ‘X2 फ्लाइंग कार' ने पहली सफल उड़ान भरी. हालांकि, इस सर्विस को आमलीजामा पहनने में अभी कई साल लगेंगे, क्योंकि जब तक बड़े पैमाने पर इन कारों की टेस्टिंग नहीं की जाएगी, तब तक आम लोगों को फ्लाइंग कार के बारे में जानकर ही संतुष्ट होना पड़ेगा. ‘फ्लाइंग टैक्सी' को यूएई (दुबई) के मरीना जिले में टेस्ट किया गया. शानदार तरीके से डिजाइन की गई इस टैक्सी में दो यात्री कहीं भी आ जा सकते हैं. इसे बनाने में 8 प्रोपेलर इस्तेमाल हुए हैं.
भारत में ड्रोन के लिए है ये गाइडलाइन
भारत सरकार ने ड्रोन के वजन के आधार पर उन्हें 5 अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है. इनके लिए अलग-अलग गाइडलाइन हैं:-
नैनो ड्रोन के अलावा बाकी सभी ड्रोन को उड़ाने के लिए आपको डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन से एक विशिष्ट पहचान संख्या लेना होता है.
किसी भी ड्रोन को मिलिट्री एरिया के आसपास या रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके में उड़ाना प्रतिबंधित है.
इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 5 किलोमीटर और बाकी एयरपोर्ट के 3 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है.
इंटरनेशनल बॉर्डर के 25 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है.
इसके अलावा ड्रोन की कैटेगरी के हिसाब से इन्हें कितनी ऊंचाई तक उड़ाया जा सकता है वो भी निर्धारित है.
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