ओडिशा विधानसभा में शनिवार को उस वक्त अप्रिय दृश्य देखने को मिला जब विपक्षी भाजपा के कुछ सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन की तरफ कथित तौर पर चप्पल, ईयरफोन और कागज फेंके. यह घटना उस वक्त हुई जब सदन ने बिना चर्चा के चंद मिनटों के भीतर ओडिशा लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक को जल्दबाजी में पारित कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष एस एन पात्रो ने इससे पहले खनन गतिविधियों में कथित भ्रष्टाचार पर चर्चा कराने के कांग्रेस के नोटिस को खारिज कर दिया था. भाजपा के दो वरिष्ठ विधायकों - जे एन मिश्रा और बी सी सेठी को अपनी-अपनी सीट पर खड़े होते हुए और अध्यक्ष के आसन की तरफ विरोध स्वरूप कुछ सामग्री फेंकते हुए देखा गया. उनकी तरफ से फेंकी गई चीजों में चप्पल, कागज, कलम, कूड़ादान और ईयरफोन शामिल थे. हालांकि, चप्पल और अन्य सामान आसन तक नहीं पहुंचे.
सेठी ने जहां अध्यक्ष के आसन की तरफ चप्पल फेंकने के आरोप से इनकार किया वहीं जे एन मिश्रा ने कहा, “मुझे ठीक-ठीक नहीं पता कि मैंने क्या फेंका था, लेकिन वह (अध्यक्ष) इसी तरह के व्यवहार के पात्र हैं. वह लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करते हैं.” सरकार की मुख्य सचेतक प्रमिला मल्लिक ने आरोप लगाया कि भाजपा सदस्यों- जे एन मिश्रा, बी सी सेठी ने चप्पलें और ईयरफोन फेंके, जबकि पार्टी सचेतक मोहन माझी ने ईयरफोन फेंका. उन्होंने कहा, ‘‘ वे (भाजपा सदस्य) ऐसा केवल खबरों में बने रहने के लिए कर रहे हैं.” अध्यक्ष ने कहा, “मैं घटना की जांच कर रहा हूं. कानून अपने हिसाब से काम करेगा.” कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने घटना की निंदा की और इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने खनन गतिविधियों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था लेकिन अध्यक्ष ने बिना किसी कारण के उसे खारिज कर दिया. मिश्रा ने कहा, “यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन में बिना चर्चा के विधेयक पारित हो रहे हैं. सदन में अव्यवस्था के वक्त विधेयक पारित नहीं किए जाने चाहिए.” सेठी ने कहा कि भाजपा सदस्य अध्यक्ष की गतिविधियों का विरोध कर रहे थे क्योंकि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पी के नाइक को सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी थी. चप्पल फेंके जाने की घटना के बाद सदन को भोजनावकाश सत्र तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
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