इन दिनों उत्तराखंड में लगे पोस्टर पर विवाद छाया हुआ है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कुछ गांव की सीमा पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक के पोस्टर लगाए गए हैं. हालांकि इससे पहले गांव की सीमा पर गैर हिंदुओं और रोहिंग्या मुसलमानो वाले पोस्टर लगाए गए थे. लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद गैर हिंदुओं की जगह बाहरी शब्द लिख दिया गया है. उत्तराखंड की शांत फिजाओं में आजकल इस तरह के पोस्टर चर्चा का विषय बने हुए हैं.
क्या है असली वजह?
जानकारी के मुताबिक, इन इलाकों में बाहरी लोग कुछ सामान बेचने आते हैं और गांव में रहने वाली सीधा-साधी लड़कियों को बहला-फुसलाकर भगा ले जाते हैं. कुछ घटनाओं के बाद ग्रामीण सतर्क हो गए हैं और गांवों के बाहर पोस्टर चिपका कर बाहरी लोगों को प्रवेश पर पाबंदी लगा चुके हैं. इस मुद्दे पर उत्तराखंड की राजनीति काफी गरमाई हुई है. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी लोगों की मनाही है, विशेषकर गैर-हिन्दुओं की.
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक सेमवाल का कहना है कि हमारा मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे गांव में महिलाओं अकेली रहती हैं. मर्द बाहर में नौकरी करते हैं. ऐसे में बाहरी लोग आते हैं उन्हें बहला-फुसला कर उन्हें ले भागते हैं. ऐसे लोगों से बचने के लिए इस तरह का निर्णय लिया गया है. उनका कहना है कि कई बार देखा गया है कि हमारे मंदिरों से भी सामान चोरी हो रहे हैं. बाहरी लोगों के बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं, ऐसे में हमने इस तरह का निर्णय लिया है.
रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रहलाद ने कहा कि कुछ दिन पहले कुछ गांव में कुछ लोग बाहर से सामान बेचने या कबाड़ी लेने आए थे. उन लोगों को गांव में आने से माना कर दिया गया और और पोस्टर लगाए गए थे. गांव में जो पोस्टर लगे थे, उनमें किसी विशेष समुदाय के लिए मैसेज था. मामला संज्ञान में आते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और इन बोर्ड को हटाया. इसमें जो वैधानिक कार्रवाई या फिर आगे इस मामले में जांच चल रही है.
बहारहल अभी इस पूरे मामले जमकर राजनीति हो रही है लेकिन उत्तराखंड की शांत वादियों में इस तरह की घटनाएं कई तरह के सवाल खड़े करती है कि आखिर इसके पीछे कौन है. इसका फायदा कौन लेना चाहता है? यह बात सच है इस तरह की घटनाओं का सीधा असर उत्तराखंड के पर्यटन और आर्थिकी पर पड़ेगा,