जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं. ललन सिंह ने आरसीपी सिंह (RCP Singh) की जगह ली थी. आरसीपी सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनने के बाद जद(यू) अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया था. इससे सवाल उठे कि जेडीयू में गुटबाजी चल रही है. इस पूरे मामले पर जब सीएम नीतीश से बात हुई तो उन्होंने कहा कि पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में निर्णय हुआ था. हमने ही कह दिया था कि आरसीपी सिंह को ये जिम्मेदारी देना चाहते हैं, वो काम करने लगे. वह मंत्री बन गए तो उन्होंने ही नेशनल एक्जक्यूटिव की बैठक में कहा कि अब ललन जी बन जाएं तो ठीक रहेगा. ये मत सोचिए कोई गुटबाजी है. हमारी पार्टी में ऐसा कुछ नहीं है. सब लोग काम कर रहे हैं. कोई दिक्कत नहीं है.
गौरतलब है कि जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद आरसीपी सिंह ने भावुक पोस्ट लिखी थी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुझे जब जो जिम्मेदारी दी, उसे मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया और अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा और चेतना दल को आगे बढ़ाने में लगाई. हमारे नेता का सिर हमेशा ऊंचा रहे और उनका काम सरजमीन तक पहुंचे, हमेशा पूरी तत्परता से इस कोशिश में लगा रहा. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सिलसिलेवार कई ट्वीट किए और जेडीयू अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने ट्वीट में कहा, "जदयू मेरे लिए पार्टी मात्र नहीं बल्कि यह मेरे लिए जीवन का पर्याय बन चुकी है. सुबह उठने से लेकर रात सोने तक मेरी हर सांस पार्टी और पार्टी के साथियों से जुड़ी होती है लेकिन, दल हो या जीवन - हमारी और आपकी भूमिका समय-समय पर बदलती रहती है." उन्होंने कहा कि बदलाव जीवन और प्रकृति का नियम है, जिसे हम बदल नहीं सकते लेकिन, जो हमारे हाथ में है और जिसकी बाद में चर्चा होती है, वो यह कि हमने अपनी जिम्मेदारी कितनी खूबसूरती और शिद्दत से निभाई. पार्टी ने मुझे जब जो जिम्मेदारी दी, उसे मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया और अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा और चेतना दल को आगे बढ़ाने में लगाई. हमारे नेता का सिर हमेशा ऊंचा रहे और उनका काम सरजमीन तक पहुंचे, हमेशा पूरी तत्परता से इस कोशिश में लगा रहा.
आरसीपी सिंह ने लिखा था कि मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि मेरे हर काम की सफलता के मूल में आप सभी का विश्वास और साथ रहा है. मेरी हर उपलब्धि में आप सभी बराबर के साझेदार हैं और हमेशा रहेंगे. राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल में और वो भी कोरोना के साये में रहते हुए मैंने दल को नई मजबूती और मुकाम देने की हरसंभव कोशिश की. अब इस दायित्व को आदरणीय ललन बाबू आगे बढ़ाएंगे, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं. अपने दल के लिए और आप सबके लिए मैं जैसे उपलब्ध था, वैसे ही रहूंगा – आजीवन, अविराम.