जलवायु परिवर्तन का महाराष्ट्र पर दिखेगा असर, बढ़ सकता है समुद्र का जलस्तर, IPCC ने जारी की रिपोर्ट

अब इस रिपोर्ट का विश्लेषण कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र सहित देशभर में जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया है.

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जलवायु परिवर्तन की वजह से महाराष्ट्र में बढ़ सकता है समुद्र का जलस्तर
मुंबई:

महाराष्ट्र इन दिनों मौसम की मार झेल रहा है. राज्य में फरवरी में जहां रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ी तो मार्च में जोरदार बारिश देखी गई. अब आने वाले महीनों में राज्य में हीट वेव और बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है. साथ ही मौसम में आए इस बदलाव का असर समुद्र के जलस्तर पर भी पड़ता दिख रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन की वजह से यहां समुद्र के जलस्तर में भी इजाफा होगा. और अगर ऐसा होता है तो 720 किलोमीटर लंबी तटरेखा के पास बसे इलाकों के डूबने के खतरा है. 

महाराष्ट्र को लेकर यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र से जुड़े एक अंतर सरकारी पैनल IPCC ने तैयार की है. IPCC ने अपनी छठी रिपोर्ट में इस तरह के दावे किए हैं. अब इस रिपोर्ट का विश्लेषण कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र सहित देशभर में जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का जल स्तर अगले कुछ सालों में करीब 1.1 मीटर तक बढ़ने के आसार हैं.

इससे समुद्र किनारे के इलाकों में बाढ़ और उनके डूबने का खतरा बना हुआ है.साथ ही इन किनारों पर बुनियादी ढांचे संकट में पड़ सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी का असर महाराष्ट्र में भी दिखेगा, जबकि कई इलाकों में हीट वेव चलने का भी अलर्ट जारी किया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश के पानी पर सबसे अधिक निर्भर महाराष्ट्र पर सूखे का संकट है. तापमान और बारिश के पैटर्न में परिवर्तन से बाढ़ का खतरा भी पहले से ज्यादा है.

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IPCC की जलवायु परिवर्तन के आकलन की रिपोर्ट के लेखक डॉ. अंजल प्रकाश बताते हैं कि इसका असर हर क्षेत्र में बढ़ता रहेगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अधिक गर्मी की वजह से उच्च तापमान देखा जाएगा, जिससे प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं, कृषि, उद्योगों और घरों के लिए पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि राज्य काफी हद तक मानसून पर निर्भर रहता है. आने वाले वर्षों में बाढ़ एक सामान्य घटना होगी, बदलते तापमान-वर्षा पैटर्न के कारण फसल की पैदावार और खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर प्रभाव के साथ कृषि कई तरह से प्रभावित हो सकती है. 

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