- CII के प्रेसिडेंट राजीव मेमानी ने भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर उद्योग जगत की ओर से समर्थन किया है.
- हालांकि उन्होंने कहा कि समझौता भारत के दीर्घकालिक हितों के अनुकूल होना चाहिए.
- उन्होंने कहा, भारत सरकार किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय दबाव में निर्णय नहीं लेती है.
- मेमानी ने जीएसटी में रोजमर्रा की वस्तुओं पर कटौती की भी अपील की है.
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के प्रेसिडेंट राजीव मेमानी ने भारत-अमेरिका के प्रस्तावित अंतरिम व्यापार समझौते (India-US Interim Trade Deal) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने NDTV को दिए इंटरव्यू में कहा कि उद्योग जगत इस डील के पक्ष में है, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि समझौता भारत के दीर्घकालिक हितों के अनुरूप हो. उन्होंने जीएसटी स्लैब पर भी बात की. केंद्र सरकार से उन्होंने रोजमर्रा की जरूरत के सामान पर जीएसटी कम किए जाने की अपील की.
दबाव में फैसला नहीं करती भारत सरकार
राजीव मेमानी ने कहा कि भारत सरकार किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में फैसला नहीं करती. अगर यह ट्रेड डील होती है, तो लेबर-इंटेंसिव सेक्टर जैसे टेक्सटाइल, गारमेंट, इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स और केमिकल प्रोडक्ट्स को फायदा होगा. हालांकि, कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर भारत की संवेदनशीलताएं बरकरार हैं. इन सेक्टरों को डील में शामिल करने से पहले किसानों के हितों और घरेलू बाजार की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके लिए प्राइस कंट्रोल और क्वांटिटेटिव रेस्ट्रिक्शन जैसे उपायों पर बात हो सकती है.
जीएसटी रेट स्ट्रक्चर में बदलाव की जरूरत
CII प्रेसिडेंट ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था को आसान बनाने की जरूरत है. कहर, 'कोलगेट, साबुन और खाने-पीने के कुछ सामान्य वस्तुओं पर जीएसटी घटाना चाहिए.' उन्होंने सुझाव दिया कि सीमेंट जैसे उत्पाद, जो लो-कॉस्ट हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी हैं, उन्हें भी सस्ती दरों पर लाना चाहिए. उन्होंने मौजूदा 4 टैक्स स्लैब की जगह तीन स्लैब (5%, 12-18%, 28%) की व्यवस्था लागू करने की वकालत की.
जीएसटी ऑडिट की प्रक्रिया हो सरल
राजीव मेमानी ने कहा कि कंपनियों के लिए जीएसटी ऑडिट की प्रक्रिया जटिल है. यदि कोई कंपनी आठ राज्यों में काम कर रही है तो उसका ऑडिट एक ही राज्य में होना चाहिए. इससे प्रक्रियाएं सरल होंगी और अनुपालन भी बेहतर होगा.
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज़
राजीव मेमानी ने भरोसा जताया कि भारत की अर्थव्यवस्था इस वित्तीय वर्ष में 6.4% से 6.7% की दर से आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि बैंकिंग सिस्टम और कॉरपोरेट बैलेंस शीट दोनों मजबूत हैं, जिससे भारत विश्व की सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा.