NDTV को सेना के सूत्रों से जानकारी मिली है कि चीन के सरकारी मीडिया के आधिकारिक ट्विटर हैन्डल से पोस्ट किए गए वीडियो, जिसमें गलवान घाटी में चीन का झंडा फहराते दिख रहा है, में दोनों देशों के बीच मौजूद असैन्य क्षेत्र का उल्लंघन नहीं हो रहा है.
दूसरे शब्दों में कहें, तो यह झंडा अविवादित रूप से चीन के अधिकार वाले क्षेत्र में ही फहराया जा रहा है, और यह नदी के उस मोड़ के निकट नहीं है, जहां जून, 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी.
वीडियो और ट्वीट में कहा गया है, "वर्ष 2022 के नववर्ष दिवस पर गलवान घाटी पर चीन का राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा है..."
ट्वीट में दावा किया गया है कि यह झंडा विशेष है, क्योंकि यह कभी बीजिंग के थ्येनआनमन चौक पर भी फहराया गया था.
पिछले वर्ष जुलाई में भारत और चीन झड़प वाले स्थान से दो-दो किलोमीटर पीछे हटने पर सहमत हो गए थे. इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल तथा चीन के विदेशमंत्री वांग यी के बीच वार्ता भी हुई.
पिछले साल जुलाई में ही सामने आई सैटेलाइट तस्वीरों से ही पुष्टि हुई कि गलवान घाटी में झड़प वाले स्थान से भारतीय तथा चीनी सैनिक दो-दो किलोमीटर पीछे हटे हैं. ऐसा डोभाल तथा यी के बीच विशेष प्रतिनिधि-स्तरीय वार्ता के बाद हुआ था.
सूत्रों के अनुसार, दिखाया गया नया वीडियो उस क्षेत्र में नहीं है, जहां से सेनाएं पीछे हटी थीं.
गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. बहादुरी के लिए उन्हें सम्मानित करने की खातिर उनके नाम स्मारक में दर्ज किए गए थे. चीन का दावा था कि उसके चार सैनिक मारे गए, हालांकि भारतीय सेना का कहना था कि चीन का जानी नुकसान इससे अधिक हुआ.