कोविड-19 से पीड़ित होकर ठीक होने के बाद वयस्क ही नहीं बच्चे भी संक्रमण के बाद उपजी शारीरिक समस्याओं जैसे गैस बनना, सरदर्द, दिमागी कमजोरी, सांस में तकलीफ आदि को लेकर शहर के अस्पताल पहुंच रहे हैं. निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने यहां यह जानकारी दी. जिन बच्चों को कोविड के हल्के लक्षण थे, उनमें भी ‘मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' के अलावा ठीक होने में देरी की समस्याएं देखी जा रही हैं. वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में बाल रोग विभाग के निदेशक डॉ राहुल नागपाल ने कहा, “सौभाग्य से बच्चों में कोविड के बहुत तीव्र लक्षण देखने को नहीं मिले हैं. हमारे पास कुछ ही मरीज आए जिन्हे हृदय या किडनी की समस्या थी, गंभीर दमा या मोटापे की समस्या थी, और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत थी.”
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उन्होंने कहा, “कोविड के बाद हम बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम देख रहे हैं. यह एक या दो प्रतिशत मामलों में दिखाई पड़ता है लेकिन यह भी एक बड़ी संख्या है. उचित उपचार तथा दवाओं से यह ठीक हो सकता है. इसके अलावा डायरिया, थकान, शरीर में दर्द, पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं वाले मरीज आते हैं.” डॉक्टर ने कहा कि कुछ बच्चे सरदर्द की शिकायत लेकर आ रहे हैं जो कि माइग्रेन की शुरुआत हो सकती है. लेकिन इसका और अध्ययन जरूरी है. चूंकि यह कोविड के बाद हो रहा है इसलिए ऐसा लगता है कि यह संक्रमण के कारण है, लेकिन इस पर अध्ययन होना चाहिए.
‘उजाला साइग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स' के संस्थापक निदेशक डॉ शुचिन बजाज ने कहा कि बच्चों में दिमाग की कमजोरी की समस्या देखने को मिल रही है और उनकी याददाश्त कमजोर हो रही है. उन्होंने कहा, “उनमें बहुत ऊर्जा नहीं है, तनाव, परेशानी है. माता पिता को लग सकता है कि बच्चा पढ़ाई से जी चुरा रहा है या ऑनलाइन क्लास नहीं करना चाहता. लेकिन यह दिमागी कमजोरी के वास्तविक लक्षण होते हैं.” इंद्रपस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ नमित जेरथ ने कहा कि ज्यादातर बच्चों में कोविड के हल्के लक्षण दिखाई दिये लेकिन जिनमें लक्षण नहीं थे उन्हें भी ठीक होने के बाद बुखार, कमजोरी, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं. मैक्स अस्पताल के डॉक्टर श्याम कुकरेजा ने कहा कि सामाजिक मेलजोल नहीं होने से बच्चों को मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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