मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई हफ्तों के अंतराल के बाद शाम चार बजे उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना के साथ शुक्रवार की साप्ताहिक बैठक में शामिल होंगे. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री राजनिवास में एलजी के साथ अपनी बैठक के लिए संविधान और अन्य कानूनों की प्रतियां ले जाएंगे, जिसमें दोनों के बीच दिल्ली में उनकी शक्तियों और अधिकार क्षेत्र पर गंभीर चर्चा होने की संभावना है. काफी समय से दोनों पक्षों में शक्तियों को लेकर खींचतान चल रही है.
केजरीवाल ने शुक्रवार की सुबह राज्यपालों की भूमिका पर एक अखबार के लेख का जिक्र करते हुए कहा, “निर्वाचित सरकारों को काम करने दें. निर्वाचित सरकारों को तुच्छ पक्षपातपूर्ण लाभ के लिए अपना काम करने से रोकना लोगों, लोकतंत्र और संविधान के लिए बुरा है.”
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उपराज्यपाल सक्सेना ने नौ जनवरी को एक पत्र के माध्यम से केजरीवाल को दिल्ली में प्रशासन के प्रावधानों पर चर्चा करने के वास्ते एक बैठक के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि मुख्यमंत्री राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों के हित में “विरोधाभास मुक्त” शासन के लिए उनके साथ नियमित बैठकें करें.
उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री अक्टूबर 2022 तक उनसे नियमित रूप से मिलते थे, लेकिन बाद में उन्होंने दिल्ली नगर निगम चुनावों और विभिन्न राज्यों के चुनावों में व्यस्तता के कारण ऐसा करने में असमर्थता जताई. दिल्ली में उपराज्यपाल कार्यालय और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच कई बार विभिन्न मुद्दों पर आपस में टकराव होता रहा है.
केजरीवाल ने सक्सेना को लिखे अपने हालिया पत्रों में, दिल्ली नगर निगम के पीठासीन अधिकारी और एल्डरमैन के साथ-साथ हज समिति के सदस्यों के नामांकन पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या उपराज्यपाल को “प्रशासक” के रूप में दिल्ली में चुनी हुई सरकार की अनदेखी करना है.
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