जब CJI ने बताया, एक वक्त में वकीलों की शादी नहीं हो पाती थी...

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आज भारतीय कानून फर्म अपने वैश्विक समकक्षों के समान कद पर हैं. महामारी के बावजूद भारत में 300 से अधिक विलय हुए. 20 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के 140 से अधिक लेनदेन भी हुए.

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नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि पुराने वक्त में वकीलों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. यहां तक कि वकीलों को शादी करने तक के लाले पड़ जाते थे. CJI रमना ने कहा, 'मुझे याद है कि एक समय था जब कानून की डिग्री हासिल करना बहुत आसान था, लेकिन उससे आजीविका चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण था. मेरे ग्रेजुएशन के दिनों में लोग पूछते थे कि तुम कानून की पढ़ाई क्यों कर रहे हो? क्या आपको कहीं और रोजगार नहीं मिला? या आप शादी नहीं करना चाहते हैं?'

उन्होंने कहा, 'पहली पीढ़ी के वकील के लिए अदालत में एक स्थायी प्रैक्टिस एक सपना था. एक ऐसा सपना जो शायद ही कभी साकार हुआ हो. इसलिए इसे अक्सर अंतिम उपाय की डिग्री के रूप में माना जाता था. संसाधनों की कमी के कारण हम में से अधिकांश ने प्रैक्टिस करते हुए ही सीखा. मुझे यकीन नहीं है कि आज की वास्तविकता कुछ अलग है. सच्चाई यह है कि वकीलों के लिए अवसरों में अभी भी असमानता है. 1991 के लिबरलाइजेशन के कारण कानूनी क्षेत्र में बदलाव आया. कारोबार बढ़ने से विशेष रूप से कॉरपोरेट लॉ में वकीलों की मांग बढ़ी. विदेशी पूंजी की आमद के कारण भारत व्यापार कानून में काफी वृद्धि देख रहा है.

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मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आज भारतीय कानून फर्म अपने वैश्विक समकक्षों के समान कद पर हैं. महामारी के बावजूद भारत में 300 से अधिक विलय हुए. 20 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के 140 से अधिक लेनदेन भी हुए. इस बात से कोई इनकार नहीं है कि कानून फर्म भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे आगे रही हैं. भारत भर की फर्म मुव्वकिलों को अच्छी सलाह दे रही हैं. एक महत्वपूर्ण पहलू जिस पर भारतीय कानून फर्मों को ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, वह है सामुदायिक पहुंच. आम धारणा यह है कि वे केवल अमीरों की सेवा करते हैं, सामान्य समाज की नहीं. उस धारणा को दूर करने की जरूरत है. जरूरतमंदों के लिए न्याय हो.'

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उन्होंने कहा, 'अधिक नि:शुल्क मामले लिए जाने चाहिए. जब हमारी संवैधानिक आकांक्षाओं को पूरा करने की बात आती है तो हमें अपने कर्तव्यों को भी पूरा करना चाहिए. कानून फर्मों द्वारा पेश किए गए आकर्षक पैकेजों ने कानून को एक आकर्षक पेशा बना दिया है. लेकिन कई कुशल लोग पीछे रह जाते हैं क्योंकि ये फर्म केवल टियर -1 शहरों में हैं. विविधता का अभाव है. हमें कानूनी फर्मों में विविधता चाहिए. अधिक महिला वकील भी हों. हमारे देश के इतिहास में कुछ बेहतरीन वकील छोटे शहरों और गांवों से रहे हैं. टियर -2 और टियर -3 शहर अब बहुत सारी आर्थिक गतिविधियों के केंद्र हैं. कानूनी फर्मों को वहां प्रतिभाओं को नियुक्त करना चाहिए.'

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CJI रमना सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स द्वारा आयोजित समारोह में बोल रहे थे.

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