छत्तीसगढ़ : कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई, ग्रामीणों ने किया विरोध

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष मार्च माह में सरगुजा जिले में पीईकेबी दूसरे चरण के कोयला खनन के लिए अंतिम मंजूरी दी थी.

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विरोध कर रहे ग्रामीणों ने दावा किया है कि खदान क्षेत्र में लगभग 250 पेड़ों को काट दिया गया (Demo Pic)
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़):

छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिले के हसदेव अरंड क्षेत्र में कोयला खदानों की मंजूरी के खिलाफ जारी विरोध के बीच वन विभाग ने सोमवार को परसा ईस्ट कांते बासन (पीईकेबी) क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी. हालांकि, क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्रामीणों के विरोध के बाद इसे रोक दिया गया.

विरोध कर रहे ग्रामीणों ने दावा किया है कि खदान क्षेत्र में लगभग 250 पेड़ों को काट दिया गया. वहीं अधिकारियों के मुताबिक, यहां 50 से 60 पेड़ों की कटाई हुई है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष मार्च माह में सरगुजा जिले में पीईकेबी दूसरे चरण के कोयला खनन के लिए अंतिम मंजूरी दी थी.

सरगुजा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला ने बताया कि वन विभाग ने सोमवार सुबह घाटबर्रा गांव से लगे पेंड्रामार जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी. इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंच गए और कटाई का विरोध करने लगे.

शुक्ला ने बताया कि ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए क्षेत्र में पेड़ों की कटाई रोक दी गई और ग्रामीणों को शांत किया गया.

घाटबर्रा ग्राम पंचायत के सरपंच जयनंदन पोर्ते ने दावा किया है कि पीईकेबी के दूसरे चरण के खनन की अनुमति फर्जी ग्राम सभा से सहमति के आधार पर दी गई है.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कैम्ब्रिज में कहा था कि उन्हें हसदेव अरंड क्षेत्र में खनन को मंजूरी देने के फैसले से समस्या है लेकिन इसके बावजूद आश्चर्यजनक रूप से पेड़ों की कटाई शुरू हो गई.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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