झारखंड-छत्तीसगढ़ में मिलने वाला '6 बुंदिया' कीड़ा क्या है? इसके खौफ का सच क्या है?

Six Spotted Beetle: किसी खतरे की आशंका पर ये कीड़ा फॉर्मिक एसिड की धार छोड़ता है. इसी के चलते इस कीड़े को 'eye squirter' उपनाम भी मिला है. 

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नई दिल्‍ली:

कई बार आप अपने आसपास ऐसे कीड़े, फतींगे या अन्‍य जीव देखते हैं, जिन्‍हें मामूली समझने की भूल कर बैठते हैं, लेकिन जब वो काटता है तो हालत खराब कर देता है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में दिखने वाला एक ऐसा ही कीड़ा है- छे बुंदिया या छेबूंदा कीड़ा. छत्तीसगढ़ के अलावा ये झारखंड और मध्‍य भारत के कुछ अन्‍य राज्‍यों में भी दिखता है. इसके शरीर पर मौजूद 6 बिंदुनुमा धब्‍बों के कारण ये नाम दिया गया है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से इसे 'Six Spotted Beetle' या 'Anthia sexguttata' कहा जाता है. हालांकि इसके बारे में भ्रम है कि इसके काटने से मौत भी हो सकती है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है.  

रंग-रूप और पहचान

6 बुंदिया कीड़ा आकार में छोटा होता है. इसका रंग गहरे काले या भूरा, और शरीर चमकदार दिखाई देता है. इसके शरीर पर आम तौर पर 6 बिंदु होते हैं. हालांकि इसके पंखों पर भी ये बिंदु नजर आ सकते हैं. ये धब्‍बे इसे  आम कीड़ों से अलग करते हैं और इन्‍हीं के आधार पर इस कीड़े को आसानी से पहचाना जा सकता है.

वयस्क 'Anthia sexguttata' करीब 4 सेमी (1.5 इंच) लंबे होते हैं, काले रंग के होते हैं. इसके अन्य पैटर्न भी संभव हैं. इनके लार्वा का आकार चपटा होता है, सिर पर एक बड़ा कैप्सूल होता है, और जबड़े उभरे हुए होते हैं. 

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कहां पाया जाता है ये कीड़ा?

जर्नल ऑफ एप्लाइड एंटोमोस्टेसिस के मुताबिक, ये प्रजाति दक्षिण एशिया के शुष्क भागों में पाई जाती है. यह प्राकृतिक वनों और शुष्क झाड़ीदार भूमि सहित विभिन्न प्रकार के आवासों में पाई जाती है. साथ ही कृषि क्षेत्रों और शहरी पार्कों सहित विभिन्न मानव-संशोधित आवासों में भी ये पाई जाती है.

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छे बुंदिया कीड़े आमतौर पर नमी वाले और घने पेड़-पौधों या कचरे के स्थानों में पाए जाते हैं. बारिश के मौसम, खेतों में काम के दौरान या घरों की दीवारों, छतों पर ये आम तौर पर दिख जाता है. पंख होने के कारण उड़ भी सकता है, जिससे यह एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच जाता है.

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जानलेवा नहीं है डंक!

छेबूंदा कीड़ा अपने डंक के लिए भी जाना जाता है. गांवों में इस बात का भ्रम भी फैला हुआ है कि कभी-कभी 6 बुंदिया के काटने से मौत भी हो सकती है. हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं है. जानकार बताते हैं कि इसी भ्रम में लोग कीड़े को मार देते हैं, जबकि ये सही नहीं है.   

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WII नेशनल रिपॉजिटरी में सैंपल संरक्षित कर चुके डॉ वीपी उनियालये के मुताबिक, ये कीड़ा फॉर्मिक एसिड की धार छोड़ता है. किसी खतरे की आशंका पर ये ऐसा करता है. इसी के चलते इस कीड़े को 'eye squirter' उपनाम भी मिला है. 

ये मूलत: कीड़े, घोंघे को खाते हैं. कृषि कीटों को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं, चाहे वे सागौन के पेड़ों के लिए खतरा पैदा करने वाले पत्ती गिराने वाले कीट हों या गन्ने के खेतों में उपद्रव मचाने वाले कीट.

एक और रोचक बात ये है कि इसके लार्वा चींटियों की गंध का पीछा करते हुए उनके आवास में पहुंच सकते हैं और उन्‍हें अपना शिकार/भोजन बना लेते हैं.  

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