Chandipura virus : चांदीपुरा वायरस के बढ़ते मामलों के चलते केंद्र सरकार की टीम गुजरात रवाना हो गईं हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक्सपर्ट्स के साथ गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) के मामलों की समीक्षा की. इसके बाद केंद्रीय टीमें गुजरात भेजने का फैसला किया गया. इस समीक्षा बैठक में पाया गया कि वेक्टर नियंत्रण, स्वच्छता और जागरूकता जैसे कदम इस बीमारी से निपटने के लिए जरूरी हैं.
टीम में कौन-कौन?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विस्तृत चर्चा और समीक्षा के बाद विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि चांदीपुरा वायरस देश भर में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों के केवल एक छोटे से हिस्से के लिए जिम्मेदार है और उसी परिवार का है. उन्होंने गुजरात में सामने आये एईएस मामलों के व्यापक महामारी विज्ञान, पर्यावरण संबंधी और कीट विज्ञान संबंधी अध्ययनों की आवश्यकता पर जोर दिया. इन जांचों में गुजरात की सहायता के लिए एनसीडीसी, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की एक बहु-विषयक केन्द्रीय टीम तैनात की जा रही है.
एईएस क्या है?
एईएस कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन/विषाक्त पदार्थों आदि के कारण होता है. एईएस के ज्ञात कारणों में जेई, डेंगू, एचएसवी, सीएचपीवी, वेस्ट नाइल आदि शामिल हैं. चांदीपुरा वायरस रैबडोविरिडे समूह का एक सदस्य है, जो देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में छिटपुट मामलों और प्रकोपों का कारण बनता है, खासकर मानसून के दौरान. यह सैंड फ्लाई और टिक्स जैसे रोगवाहक कीटों से फैलता है.
अब तक कितने रोगी मिले?
बयान में कहा गया है कि जून 2024 की शुरूआत से ही गुजरात में 15 साल से कम आयु के बच्चों में एईएस के मामले सामने आ रहे हैं. बीस जुलाई 2024 तक एईएस के कुल 78 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 75 मामले गुजरात के 21 जिलों/निगमों से, दो मामले राजस्थान में और एक मामला मध्य प्रदेश से है. इनमें से 28 मरीज की मृत्यु हो गई है. राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे में जांच किए गए 76 नमूनों में से 9 में चांदीपुरा वायरस के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है. समस्त 9 सीएचपीवी-पॉजिटिव मामले और इससे जुड़ी 5 मौतें गुजरात में हुईं हैं.