चंडीगढ़ : फर्जी कॉल सेंटरों पर ईडी की बड़ी कार्यवाई, करोड़ों की ठगी का खुलासा

ईडी की जांच में एक कंपनी एफएसएएल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया है, जो अमेरिका में स्थित अपनी फर्जी कंपनी बायोस टेक के जरिए ग्राहकों को ठग रही थी.

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  • ईडी ने चंडीगढ़ ट्राइसिटी में कई फर्जी कॉल सेंटरों पर टेक सपोर्ट के नाम पर ठगी के आरोप में छापेमारी की
  • जांच में सामने आया कि फर्जी कंपनियां विदेशों में बनाकर गेटवे के जरिए ठगी का पैसा भारत में भेजा जाता था
  • एफएसएएल टेक्नोलॉजी, बायोस टेक नामक फर्जी कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट जैसे ब्रांड्स का नाम लेकर धोखाधड़ी कर रहीं थीं
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ईडी ने चंडीगढ़ ट्राइसिटी इलाके में आधी रात को कई फर्जी कॉल सेंटरों पर एक साथ छापेमारी की है. ये कॉल सेंटर विदेशी ग्राहकों को तकनीकी सहायता (टेक सपोर्ट) देने के नाम पर ठग रहे थे. जांच में सामने आया है कि ये कॉल सेंटर विदेशों में फर्जी कंपनियां बनाकर गेटवे के जरिए ठगी का पैसा मंगवाते थे और फिर उसे भारत में बैंकिंग चैनलों और हवाला के जरिए भेजते थे.

ईडी की शुरुआती जांच में पाया गया कि ये कंपनियां अपनी वेबसाइट पर खुद को वेब डिजाइनिंग, इंटरनेट सर्विस और सॉफ्टवेयर सपोर्ट जैसी सेवाओं का विज्ञापन देती थीं, लेकिन इनमें किसी डायरेक्टर या टीम के सदस्यों की जानकारी नहीं होती थी. इतना ही नहीं, यहां काम करने वाले कर्मचारियों के पास बीपीओ या सॉफ्टवेयर का कोई विशेष ज्ञान भी नहीं था.

एफएसएल टेक्नोलॉजी का खुलासा

ईडी की जांच में एक कंपनी एफएसएएल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया है, जो अमेरिका में स्थित अपनी फर्जी कंपनी बायोस टेक के जरिए ग्राहकों को ठग रही थी. ये कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, एचपी प्रिंटर्स HP प्रिंटर्स जैसे बड़े ब्रांड्स का नाम लेकर फर्जी टेक सपोर्ट सेवाएं देने का दावा करती थी. लेकिन पूछताछ में एफएसएएल के डायरेक्टर फैसल राशिद पीरजादा किसी भी प्रकार का अधिकृत एग्रीमेंट या लाइसेंस दिखाने में नाकाम रहे.

FSAL कंपनी ने न सिर्फ Bios Tech की वेबसाइट का पूरा कंट्रोल भारत से रखा था, बल्कि वहां से आने वाली पेमेंट्स को भी खुद मॉनिटर करता था. यही नहीं, इसी नेटवर्क के तहत एक और फर्जी कंपनी बायोज वेब टेक भी चलाई जा रही थी, जिसका डायरेक्टर अर्शदीप है, जो फैसल का करीबी दोस्त है.

कई कॉल ट्रांसक्रिप्ट जब्त किए

ईडी ने सर्च के दौरान कई कॉल ट्रांसक्रिप्ट जब्त किए हैं जिनसे टेक फ्रॉड की पुष्टि हुई है. इतना ही नहीं, एफएसएएल टेक्नोलॉजी की वेबसाइट का आईपी एड्रेस geeksworldwidesolutions.com नाम की वेबसाइट को भी होस्ट कर रहा था, जो अमेरिका की प्रतिष्ठित कंपनी गीक स्क्वाड की कॉपी थी. ये सभी गतिविधियां बिना किसी कानूनी अनुमति के की जा रही थीं.

साहू जैन का नेटवर्क भी बेनकाब

इसी तरह, ईडी ने साहू जैन नाम के एक अन्य व्यक्ति की कंपनियों Terrasparq और Visionaire को भी टेक फ्रॉड में संलिप्त पाया है. इन कंपनियों का संचालन 2016 से हो रहा है और ये अमेरिका की कंपनी CTS Mobility (जो साहू जैन की बहन प्रिया के नाम पर है) को टेक सपोर्ट देने का दावा करती है.

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ईडी को साहू जैन के ईमेल और व्हाट्सएप चैट से ये जानकारी मिली कि उसने माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर पॉपअप कॉल्स लिंक बनाकर अमेरिकी ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड्स से फर्जी पेमेंट ली. वेबसाइट पर मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट, नेटवर्क सपोर्ट जैसी सेवाओं का दावा किया गया है, लेकिन हकीकत में इनका कोई ठोस आधार नहीं है. यहां तक कि वेबसाइट पर दिखाए गए ऑफिस की तस्वीरें भी झूठी हैं,  जिन्हें बड़े IT पार्क्स की तरह पेश किया गया है, जबकि असलियत कुछ और ही है.

ईडी की जांच जारी

ईडी की टीम ने इन सभी कंपनियों के ऑफिस से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, दस्तावेज और बैंकिंग रिकॉर्ड जब्त किए हैं. शुरुआती जांच में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल मामले की गहराई से जांच जारी है और कई और खुलासे होने की संभावना है.

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