केंद्रीय टीकाकरण नीति (Liberalised Vaccine policy) पर उठ रहे सवालों और तमाम विरोधी खबरों पर भारत सरकार (Modi Govt) ने चुप्पी तोड़ी है. केंद्र ने देश में जारी टीकाकरण नीति का बचाव करते हुए असमनताओं की खबरों को निराधार बताया है. केंद्र ने शनिवार को अपनी उदार वैक्सीन नीति के तहत वैक्सीन की डोज के निजी और सरकारी क्षेत्र में वितरण को सही ठहराया है. केंद्र ने बचाव में कहा है कि 1 मई से लागू हुई वैक्सीन नीति राज्यों में सुगम टीकाकरण व उनके परिचालन के तनाव को कम करती है.
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बता दें कि केंद्र द्वारा निजी क्षेत्र के लिए 25% टीकों के वितरण को अलग किया गया है. केंद्र का कहना है कि यह योजना लोगों तक वैक्सीन की बेहतर पहुंच की सुविधा देता है और सरकारी टीकाकरण सुविधाओं पर परिचालन तनाव को कम करता है. ये उन लोगों के लिए है जो कीमत चुका कर वैक्सीन लेना चाहते हैं और एक निजी अस्पताल में जाना पसंद करते हैं. इससे सरकारी अस्पतालों में भीड़ और भार दोनों कम होती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी ट्वीट कर कोरोना के टीकों में वितरण में असमानता की खबरों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि देश भर के निजी अस्पतालों को मई में 1.2 करोड़ खुराकें पारदर्शी तरीके से दी गईं जिससे देश में जारी दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन ड्राइव की क्षमता को मदद मिली है. हर्षवर्धन ने कहा कि टीकों के वितरण के लए बनी उदारीकृत नीति के तहत केंद्र को आपूर्ति किए गए टीकों का 50 प्रतिशत मिल रहा है, जबकि निजी क्षेत्र और राज्य दो निर्माताओं- भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट से सीधे टीकों की खुराक खरीद रहे हैं.
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केंद्र की टीकाकरण नीतियां बेतुकी : कांग्रेस
बता दें कि कांग्रेस ने बीते सप्ताह कहा था कि टीकाकरण के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय की ओर से दिए आदेश से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार की नीतियां बेतुकी हैं. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से टीकाकरण को लेकर कांग्रेस एवं उसके नेतृत्व के रुख की पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश ने साबित कर दिया है कि कोरोना पर सरकार की नीतियां बेतुकी, बेमेल, और बेकार हैं. कांग्रेस पार्टी शुरू से कहती आ रही है कि कोरोना पर सरकार की नीतियां असंगत और अनुपयोगी हैं. हमारे इस रुख की कानूनी रूप से पुष्टि हुई है.''