बिहार के दरभंगा में एम्स के निर्माण कार्य को लेकर बिहार सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आमने-सामने नजर आ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अस्पताल के निर्माण कार्य के न शुरू होने के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया, तो बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने करारा तथ्यात्मक जवाब दिया.
तेजस्वी यादव ने कहा, "यह कौन से अदृश्य विकास की राजनीति है कि जहां स्वास्थ्य मंत्रालय ने AIIMS के लिए अभी तक स्थल फाइनल किया ही नहीं है और आदरणीय प्रधानमंत्री जी कह रहे है वहाँ एम्स खोल दिया गया है? जिस काल अवधि का आप वर्णन कर रहे है उस वक़्त से लेकर पूर्व के कई वर्षों तक बिहार में BJP के ही स्वास्थ्य मंत्री रहे है. शायद आप उनकी असफलता को इंगित कर रहे हैं."
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने शोभन बायपास जैसी बेहतर लोकेशन पर निःशुल्क 151 एकड़ भूमि केंद्र को हस्तांतरित की है, जिसमें मिट्टी भराई का 300 करोड़ अतिरिक्त व्यय भी राज्य सरकार वहन कर रही है. हम सकारात्मक एवं विकासोन्मुख राजनीति करते है, इसलिए हमने दरभंगा सहित अन्य जिलों को इसका संपूर्ण लाभ मिले तभी सबसे उपयुक्त स्थल चयन किया है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से केंद्र की अभी तक स्वीकृति नहीं मिली. आपको अवगत कराना चाहेंगे कि दरभंगा में ही 1946 से स्थापित बिहार के प्रतिष्ठित दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में बिहार सरकार (569+ 2546) कुल 3115 करोड़ के अपने खर्च से (400+2100) 2500 बेड का सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल, आधुनिक भवन एवं आवासीय परिसर का निर्माण करवा रही है, क्योंकि हम नकारात्मक राजनीति नहीं, बल्कि जनहित में गतिशील विकास कार्यों को प्राथमिकता देते है."
बिहार सरकार और केंद्र के बीच इस वाक युद्ध की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को भाषण से हुई थी, जिसमें उन्होंने इस एम्स के बारे में कहा था कि ये लोगों के स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खोला गया है. इसके तुरंत बाद जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस एम्स के निर्माण कार्य अभी शुरू ना होने का दावा किया और इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया. वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत सफ़ाई दी और बिहार सरकार को ये कहकर घेरने की कोशिश की आप सही ज़मीन दें और तुरंत निर्माण कार्य शुरू कराया जायेगा.