सीबीआई ने करीब 1438.45 करोड़ और करीब 710.85 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं और 10 स्थानों पर छापेमारी की है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शिकायत पर मुंबई की एक निजी कंपनी और उसके डायरेक्टर,गारंटर और अज्ञात अफसरों के खिलाफ करीब 1438.45 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और चार अन्य कंसोर्टियम सदस्य बैंकों ने आरोप लगाया गया था कि मेटल का कारोबार कर रही एक कंपनी और उसके प्रमोटर, निदेशकों ने अज्ञात संस्थाओं के साथ भारतीय स्टेट बैंक और कंसोर्टियम सदस्य बैंकों (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पीएनबी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र) को कथित तौर पर फंड को डायवर्ट और साइफन करके, विदेशी बंद पड़ी संस्थाओं को बिक्री दिखाकर खातों में हेराफेरी की.
यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी ने संस्थाओं को एडवांस पेमेंट देकर बैंक के पैसे का दुरुपयोग किया, जबकि उन संस्थाओं ने पिछले 5 से 9 सालों के दौरान कोई कारोबार नहीं किया था. आगे आरोप लगाया गया कि आरोपी ने मंजूरी के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया. भारतीय स्टेट बैंक और चार अन्य कंसोर्टियम सदस्य बैंकों को 1438.45 करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ. मुंबई और पुणे में आरोपियों के परिसरों में तीन स्थानों पर तलाशी ली गई जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज और दूसरी चीज़ें बरामद हुईं.
दूसरा मामला अहमदाबाद स्थित एक निजी कंपनी और उसके छह निदेशकों और अज्ञात लोगों के खिलाफ बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर दर्ज किया गया. आरोप है कि बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, एसबीआई, पीएनबी और शामराव विट्ठल सहकारी बैंक लिमिटेड के साथ-साथ आईएफसीआई लिमिटेड के बैंकों के संघ को करीब 710.85 करोड़ का चूना लगाया गया.
यह कहा गया था कि उक्त निजी कंपनी अनमॉडिफाइड स्टार्च, बेसिक मक्का स्टार्च से संशोधित स्टार्च और लिक्विड ग्लूकोज, डेक्सट्रोज मोनोहाइड्रेट, एनहाइड्रस डेक्सट्रोज, सोरबिटोल आदि जैसे डाउनस्ट्रीम उत्पादों के उत्पादन के कारोबार में लगी हुई है. आरोप लगाया गया कि कंपनी ने संबंधित पक्षों और अन्य लोगों को कंसोर्टियम बैंकों की मर्जी के बिना धोखाधड़ी करने के इरादे से पैसा दिया और जानबूझकर लोन देने वाले बैंको में अपनी क्रेडिट सुविधाओं को रिन्यु कराने और बढ़ाने के लिए अपने संबंधित पक्षों के साथ अवैध लेनदेन किया. यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने क्लोजिंग स्टॉक के साथ-साथ अचल संपत्तियों के मूल्य का गलत इस्तेमाल किया और इस तरह बैंकों को धोखा दिया.
अहमदाबाद और पुणे सहित सात स्थानों पर आरोपी के परिसरों की तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कुछ संपत्ति के दस्तावेज और 38 लाख रुपये बरामद हुए.
पहले मामले में आरोपी उषदेव इंटरनेशनल लिमिटेड, उसकी निदेशक सुमन विजय गुप्ता, निदेशक प्रतीक विजय विजय गुप्ता और अज्ञात लोग हैं. जबकि दूसरे मामले में आरोपी मेसर्स अनिल लिमिटेड अहमदाबाद,उसके निदेशक अमोल श्रीपाल सेठ,कमलपाल भाई आर सेठ,अनीश कस्तूरभाई शाह,इंदिरा जे पारिख दिपल पालखीवाला,अनुराग कोठवाला,शशिन ए देसाई और अज्ञात लोग हैं.
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