नए CBI चीफ के नाम पर चर्चा में CJI ने दिया एक नियम का हवाला, सरकार की पसंद पर फिरा पानी : सूत्र

सूत्रों ने बताया कि चर्चा के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमना ने 'छह महीने के नियम' का हवाला दिया, जिसको पहले सीबीआई डायरेक्टर के चयन के दौरान हमेशा नजरअंदाज किया गया.

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भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना.
नई दिल्ली:

सीबीआई के नए प्रमुख के चयन के लिए सोमवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. बैठक में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कथित तौर पर एक नियम का हवाला दिया, जिसकी वजह से सरकार द्वारा शॉर्टलिस्ट किए गए कम से कम दो नाम लिस्ट से बाहर हो गए. यह जानकारी सूत्रों ने दी है. 90 मिनट की बैठक में पीएम मोदी, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी वाले पैनल का पूरा फोकस पूर्व महाराष्ट्र डीजीपी सुबोध कुमार जयसवाल, सशस्त्र सीमा बल के डीजी केआर चंद्र और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी पर रहा.

सूत्रों ने बताया कि चर्चा के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमना ने 'छह महीने के नियम' का हवाला दिया, जिसको पहले सीबीआई डायरेक्टर के चयन के दौरान हमेशा नजरअंदाज किया गया. जस्टिस रमना ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया, जिसके मुताबिक जिन अधिकारियों की नौकरी में छह महीने से कम का समय बचा है, उनका नाम पर पुलिस प्रमुख पद के लिए विचार ना किया जाए. साथ ही कहा कि चयन समिति को इस कानून का पालन करना चाहिए. पैनल में शामिल सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस नियम का समर्थन किया.

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इस नियम की वजह से बीएसएफ के राकेश अस्थाना जो कि 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के वाईसी मोदी जो कि 31 मई को रिटायर हो रहे हैं, दोनों ही इस लिस्ट से बाहर हो गए. दोनों का नाम सरकार की लिस्ट में सबसे ऊपर था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर यह बैठक चार महीने की देरी से हुई है. 

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अधीर रंजन चौधरी ने लिस्ट में शामिल नामों पर कोई एतराज नहीं जताया, लेकिन एक असहमति जताते हुए आरोप लगाया गया कि सरकार ने उम्मीदवारों की लिस्ट बनाने में "अनौपचारिक दृष्टिकोण" का पालन किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें मूल रूप से 109 नाम मिले थे, जिन्हें पैनल की बैठक से पहले 16 नामों में बदल दिया गया था.

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उन्होंने कहा, '11 मई को मुझे 109 नाम दिए गए. और आज दोपहर 1 बजे तक 10 नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया, जबकि शाम 4 बजे तक छह नाम रह गए. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का यह रवैया बेहद आपत्तिजनक है.'

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